First Chief Minister of Delhi : अरविंद केजरीवाल की तरफ से सीएम पद पर रिजाइन के एलान करने के बाद AAP काफी चर्चाओं में आ गई. इसी बीच हम दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने तीन साल में इस्तीफा दे दिया.
17 September, 2024
First Chief Minister of Delhi : अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने सीएम पद से इस्तीफे देने का एलान कर दिया है, इसके बाद AAP विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से आतिशी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुन लिया गया है. इसी बीच हम आपको दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री के बारे में बताने जा रहे हैं जो इत्तेफाक से चुन लिए गए थे. राजधानी में जब पहले मुख्यमंत्री की बात आती है तो साधारण रूप से आम लोग मदन लाल खुराना का नाम लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. दिल्ली का पहला मुख्यमंत्री 33 साल के युवा नेता चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव (Chaudhary Brahm Prakash Yadav) को बनाया गया था.
भारत छोड़ो आंदोलन में लिया हिस्सा
दिल्ली के शकूरपुर के रहने वाले ब्रह्म प्रकाश यादव भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान काफी अंडरग्राउंड रहकर काम किया था. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रह्म प्रकाश यादव कई बार जेल गए थे, यही कारण था कि वरिष्ठ नेताओं के बीच में तेजी से नाम कमा लिया था. इन सबके बाद भी ब्रह्म प्रकाश यादव का मुख्यमंत्री बनना एक इत्तेफाक है. ऐसा कहा जाता है कि जब वह मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे उस दौरान उनकी किस्मत ने खूब साथ दिया, क्योंकि वह मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं थे.
प्लेन क्रैश में हुई सीएम बनने वाले शख्स की
दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव में लाला देशबंधु को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा था लेकिन प्लेन क्रैश में उनकी मृत्यु के बाद ब्रह्म प्रकाश यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया. उनका कार्यकाल साल 17 मार्च 1952 से 12 फरवरी 1955 तक रहा था. उन्होंने 2 साल 232 दिनों तक दिल्ली का शासन चलाया. जब चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव मुख्यमंत्री बने तो उस वक्त दिल्ली का मुखिया चीफ कमीश्नर हुआ करते थे, जो कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के अनुसार फैसले लिया करते थे. चीफ कमीश्नर आनंद डी पंडित और तत्कालीन सीएम ब्रह्म प्रकाश के बीच तनातनी रहती थी, जिसके बाद बह्म प्रकाश ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.
1951 में हुआ था विधानसभा चुनाव
राजधानी में आम विधानसभा चनाव 1951 में हुआ था. चुनाव का परिणाम आने के बाद कांग्रेस को बहुमत मिला और उस वक्त विधायक दल की बैठक में लाला देशबंधु गुप्ता को अपना नेता चुन लिया. लेकिन एक घटना घटी जहां मुख्यमंत्री की शपथ लेने जा रहे देशबंधु की मृत्यु हो गई. इसके बाद शीर्ष नेतृत्व की तरफ से ब्रह्म प्रकाश यादव का नाम आगे बढ़ाया गया और पार्टी के विधायकों ने भी उनके नाम सहमति दे दी है. इन बातों से साफ पता चलता है कि वह किसी पक्ष से सीएम की दौड़ में नहीं था लेकिन नीयति को कुछ और ही मंजूर था. इसी बीच एक बात उस दौरान खूब चर्चाओं में रही कि ब्रह्म प्रकाश का नाम बढ़ाने में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का बड़ा योगदान था. बता दें कि ब्रह्म प्रकाश साधा जीवन जीने के लिए काफी मशहूर थे जब वह मुख्यमंत्री बन गए थे उस दौरान भी सरकारी बसों में घूमा करते थे.
यह भी पढ़ें- जूनियर डॉक्टरों के सामने झुकी ममता सरकार, 99 प्रतिशत मांगें मानी; काम पर लौटने की अपील की