13 January 2024
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एक आतंकवादी समेत 114 दोषियों की माफी याचिका पर फैसला लेने में आखिर इतनी देरी क्यों हो रही है। काम तुरंत हो सकता है, फिर उसमे इतनी देरी क्यों।
ये पूरा मामला जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी से जुड़ा हुआ है। जो 14 साल से ज्यादा की सजा काट चुका है। ऐसे में उसने माफी याचिका दायर की थी। जिसको दिल्ली सरकार ने खारिज कर दिया था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को फटकार लगाई है।
सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कोर्ट ने बताया है कि आतंकवादी गफूर समेत 114 योग्य दोषियों की रिहाई के लिए 21 दिसंबर को सजा समीक्षा बोर्ड की बैठक हुई थी। जिसके बाद उसकी दया याचिका को उपराज्यपाल को सौंपने के लिए गृह विभाग को दिया गया। जब की ये फैसला बैठक में ही सिर्फ कुछ ही मिनटों में लिया जा सकता था। इसे उपराज्यपाल को भेजने की जरूरत ही नहीं थी।
कोर्ट ने कहा कि हर राज्य का यही हाल है। सजा में छूट से पहले आवेदन पर विचार किए बिना ही उसे स्वचालित रूप से अस्वीकार कर दिया जाता हैं। जो की किसी भी तरह से सही नहीं है।
कोर्ट के आदेश का हुआ उल्लंघन
पीठ ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट के 11 दिसंबर के आदेश का पूरी तरह से उल्लंघन है। दिल्ली सरकार किस छूट नीति की बात कर रही है, मालूम ही नहीं चल रहा है। ये जो कुछ भी हुआ है वो बहुत ही आपत्तिजनक था, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जब भी सजा में छूट देने की बात आती है, तो सभी राज्य ऐसे ही करते हैं। बिना विचार किये ही आवेदन को अस्वीकार कर दिया जाता है।
कौन है ये गफूर?
जनवरी 2007 में पुलिस को गुप्त सूचना मिली, कि जैश-ए-मोहम्मद दिल्ली के प्रमुख इलाकों में हमला करना का प्लान बना रहा है। जिसके आधार पर पुलिस ने जाल बिछाकर 4 फरवरी 2007 को कनॉट प्लेस के पास से गफूर को गिरफ्तार किया था। जहां पहले पुलिस की इसके साथ भीषण मुठभेड़ हुई, उसके बाद 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जिनके पास से विस्फोटक, ग्रेनेड और नकदी बरामद हुई थी।