Amrita Pritam Sahir Ludhianvi : अमृता और साहिर की अधूरी प्रेम कहानी में कई ट्विस्ट हैं. इसमें इमरोज भी हैं, जिन्हें कई दशक एक ही घर में अमृता के साथ गुजारे.
Amrita Pritam Sahir Ludhianvi : वर्ष 2005 में दुनिया को अलविदा कहने वालीं पंजाबी भाषा की महान लेखिका अमृता प्रीतम हिंदी बेल्ट में भी मशहूर हैं. शायद ही कोई हिंदी साहित्य प्रेमी होगा, जिसने उनकी चर्चित कृति ‘पिंजर’ या फिर ‘रसीदी टिकट’ का रसास्वादन नहीं किया हो. जिस तरह उनकी रचना संसार के पात्र दुख-तकलीफ और खुशियों को जीते हैं उसी तरह अमृता प्रीतम का जीवन भी तमाम तरह के उतर-चढ़ाव के दौर से गुजरा. लेखिका की जिंदगी को जानना है तो उनकी कृति ‘रसीदी टिकट’ को पढ़ना पर्याप्त होगा, हालांकि उनकी सभी कृतियां साहित्य की अनमोल धरोहर हैं.
Amrita Pritam Sahir Ludhianvi : अफसाने से कम नहीं अमृता की पूरी जिंदगानी
साहित्य के महासागर में अमृता प्रीतम का योगदान अद्वितीय है. लेखिका ने फिक्शन, नॉन-फिक्शन के अलावा नज़्में और निबंध लिखे हैं. साहित्य सेवा के लिए अमृता प्रीतम को पद्म विभूषण समेत कई अवार्ड मिले हैं. आलोचकों की मानें तो अमृता प्रीतम की जिंदगी किसी अफसाने से कम नहीं है, जिसमें मिलना-बिछड़ना, तड़प और खुशी शामिल है. इसके इतर अमृता प्रीतम ने महान गीतकार साहिर लुधियावनी की मोहब्बत की इबादत, जबकि अमृता प्रीतम की इबादत की इमरोज ने.
Amrita Pritam Death Anniversary : निजी जिंदगी रही उतार-चढ़ाव वाली
अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त, 1919 में हुआ और उन्हें बचपन से ही तकलीफों और परेशानियों का सामना करना पड़ा. वह बहुत छोटी थीं, जिस उम्र में मां का निधन हो गया. जब बड़ी हुईं तो पिता को हमेशा संन्यासी के वेश में देखा. कृति ‘रसीदी टिकट’ में अमृता प्रीतम की जिंदगी की कश्मकश साफ तौर पर नजर आती है. ‘रसीदी टिकट’ अमृता प्रीतम की बहुचर्चित आत्मकथा है. यह पढ़ने पर पता चलता है कि अमृता प्रीतम को नफरत के दायरे पर तरस आता है. एक सच यह भी है कि पाकिस्तान अलग हुआ तो विभाजन ने बुरी तरह प्रभावित किया था, जिससे ‘वारिस शाह’ जैसी कविता की रचना हुई. उनकी कृति ‘पिंजर’ लाजवाब है. अमृता प्रीतम इस कृति में समस्या को परोसती हैं तो उसका निदान भी देती हैं. उपन्यास के अंत में खलनायक यानी का हृदय परिवर्तन होता है तो नायिका अपने माता-पिता और भाई से जुदाई को किस्मत मान लेती है. एक सच यह भी है कि उनकी कृतियों के किरदार कई बार अमृता प्रीतम से हूबहू मिलते हैं.
Amrita Pritam Birth Anniversary: मोहब्बत का तिलिस्म
मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम ने अपनी रचनाएं पंजाबी भाषा में लिखीं, लेकिन उनकी रचना संसार दायरा इतना व्यापक था कि हिंदी में भी उन्हें स्वीकार किया गया. उनकी आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’ बहुत लोकप्रिय कृति है. जिसने भी अमृता प्रीतम की यह कृति पढ़ी वह उनका मुरीद हो गया. निजी जिंदगी की बात करें तो साहिर लुधियानवी से अधूरी मोहब्बत और इमरोज़ के साथ बिना शादी किए पूरी जिंदगी गुजारी. साहिर के साथ अमृता की मोहब्बत को लेकर तो यही कहा जा सकता है कि मोहब्बत सिर्फ साथ होने और प्यार हासिल करने का नाम नहीं है. साल 1944 में साहिर और अमृता के बीच पहली मुलाकात हुई. इसके बाद दोनों के बीच प्रेम का सिलसिला शुरू हो गया. अमृता दरअसल, साहिर को लंबे-लंबे पत्र लिखतीं थी. इसके बाद लौटती डाक से साहिर का जवाब आता. कभी-कभार दोनों के बीच मुलाकातें भी होतीं.
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अमृता-साहिर ने उम्र भर किया एक-दूसरे से प्यार
रसीदी टिकट में अमृता ने साहिर के बारे में लिखा है- ‘वो चुपचाप मेरे कमरे में सिगरेट पिया करता. आधी पीने के बाद सिगरेट बुझा देता और फिर नई सिगरेट सुलगा लेता.’ वह आगे लिखती है- ‘जब वो (साहिर) जाता तो कमरे में उसकी पी हुई सिगरेटों की महक रहती. मैं उन सिगरेट के बटों को संभालकर रख लेती. इसके बाद उन बटों को दोबारा सुलगाती. वह कहती हैं- ‘जब मैं उन्हें अपनी अंगुलियों में पकड़ती तो मुझे लगता कि मैं साहिर के हाथों को छू रही हूं. इस तरह मुझे भी सिगरेट पीने की लत लग गई.’ खैर इससे पहले ही पति प्रीतम सिंह को साहिर के साथ अमृता की मोहब्बत की खबर लग चुकी थी. दोनों के बीच अनबन रहने लगी. इसके बाद अमृता ने पति का घर छोड़ दिया और दिल्ली में एक किराए के घर में अकेले रहने लगीं. उधर, कहा जाता है कि साहिर की जिंदगी में कई औरतें आईं, लेकिन कोई भी अमृता की जगह नहीं ले सका. वो ताउम्र अमृता से बेपनाह प्रेम करते रहे.
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