Home National बांके बिहारी मंदिर में ड्रेस कोड! प्रशासन ने पोस्टर लगाकर बताया- कैसे कपड़े पहनकर न आएं लोग

बांके बिहारी मंदिर में ड्रेस कोड! प्रशासन ने पोस्टर लगाकर बताया- कैसे कपड़े पहनकर न आएं लोग

by Preeti Pal
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Banke Bihari Temple Dress Code

Banke Bihari Temple Dress Code: वृन्दावन स्थित चर्चित बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन (Banke Bihari Temple Management) ने श्रद्धालुओं से शालीन कपड़े पहनकर आने की अपील की है. साथ ही यह भी कहा है कि परिसर में छोटे कपड़े पहनकर नहीं आएं.

19 December, 2024

Banke Bihari Temple Dress Code: उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं से छोटे और अभद्र कपड़े नहीं पहनकर आने की गुजारिश की गई है. इस अनुरोध के साथ प्रशासन की ओर से मंदिर के बाहर पोस्टर-बैनर लगाए गए हैं. इस पोस्टर में श्रद्धालुओं से छोटे कपड़े पहनकर नहीं आने की अपील की गई है. वहीं, बिहारी जी के दर्शन करने पहुंचे कई भक्त मंदिर प्रबंधन की अपील से सहमत नजर आए. उन्होंने भी माना कि कुछ श्रद्धालु तो वृंदावन में सिर्फ घूमने के लिहाज से आते हैं जो सही नहीं है. यहां पर आएं तो पूरे भक्ति भाव से आएं. घूमने-फिरने के स्थल और भी हो सकते हैं, लेकिन यह तो ईश्वर का स्थान है. ऐसे में हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम साफ-सुथरे और शालीन कपड़े ही पहनकर आएं.

क्या-क्या नहीं आएं पहनकर

बांके बिहारी मंदिर प्रशासन द्वारा लगाए गए पोस्टर में साफ तौर पर लिखा गया है कि वृंदावन की पवित्रता और भगवान बांके बिहारी की गरिमा का सम्मान करने के लिए भक्त शॉर्ट ड्रेस पहनकर नहीं आएं. मंदिर प्रबंधन की ओर से श्रद्धालुओं से शॉर्ट्स, हाफ-पैंट, मिनी स्कर्ट, नाइटवियर और फटी जींस पहनकर नहीं आने की गुजारिश की गई है.

क्यों लगाया गया पोस्टर

ड्रेस कोड लागू करने के पीछे मंदिर प्रशासन का कहना है कि संस्कृति, धर्म और परंपरा भी यह है कि मंदिर में शालीन और सभ्य कपड़े ही पहने जाएं. मंदिर प्रशासन ने पोस्टर लगाने के पक्ष में यह भी कहा है कि सभी श्रद्धालु ड्रेस कोड का पालन करें जिससे वृंदावन की धार्मिक मर्यादा बनी रहे.

जानिये बांके बिहारी मंदिर के बारे में

यहां पर बता दें कि बांके बिहारी मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले हैं. यह मंदिर वृंदावन धाम में बिहारीपुरा में स्थित है. यह देश के प्राचीन और चर्चित मंदिरों में से एक है. कहा जाता है कि बांके बिहारी कृष्ण का ही एक रूप है जिसे इस मंदिर में प्रदर्शित किया गया है. इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण 1864 में स्वामी हरिदास ने करवाया था.

यह भी पढ़ें: Aligarh Shiv Mandir News: संभल के बाद अब अलीगढ़ जिले में मिला दबा हुआ शिवलिंग

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