Pune Porsche Crash : बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि कानून से संघर्षरत बच्चा 18 वर्ष से कम है. सजा देने से पहले उसकी उम्र पर विचार किया जाना चाहिए.
25 June, 2024
Pune Porsche Crash : पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कथित रूप से शामिल 17 वर्षीय लड़के को सुधार गृह से तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है. पुलिस ने दावा किया था कि 19 मई की सुबह शराब के नशे में कार चला रहे किशोर ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी. चपेट में आए दो तकनीशियनों की मौत हो गई थी. इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने आरोपी नाबालिग को सुधारगृह में भेज दिया.
सुधारगृह में भेजने वाला फैसला कोर्ट ने रद्द किया
बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के जरिए सुधारगृह भेजने वाले फैसले को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा हम याचिका को स्वीकार करते हैं और नाबालिग को रिहा करने का आदेश देते हैं. इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया कि लड़का अपनी मौसी की देखभाल और हिरासत में रहेगा. पीठ ने कहा कि JJB के रिमांड वाला आदेश अवैध और उसने अपने अधिकार क्षेत्र के बिना पारित किया था.
बच्चे का साथ वयस्क जैसा व्यवहार न हो : कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि कानून से संघर्षरत बच्चा 18 वर्ष से कम है. सजा देने से पहले उसकी उम्र पर विचार किया जाना चाहिए. न्यायालय किशोर न्याय अधिनियम के उद्देश्यों और लक्ष्यों से बंधा हुआ है. हाई कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में अपराध गंभीर श्रेणी में आने के बाद भी बच्चे के साथ वयस्क से अलग व्यवहार करना चाहिए. इसके अलावा, सीसीएल पर अलग तरीके विचार किया जाना चाहिए और आरोपी पहले से पुनर्वास के दौर से गुजर रहा है. बच्चा पहले भी मनोवैज्ञानिकों के पास भेजा गया है.
हाई कोर्ट में चाची ने दायर की थी याचिका
17 वर्षीय लड़के की चाची ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि नाबालिग को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और अदालत ने अपील की कि तत्काल रिहाई दे दी जाए. आपको बताते चलें कि दुर्घटना 19 मई की सुबह हुई थी. लड़के को उसी दिन जेजेबी द्वारा जमानत दे दी गई थी और उसे अपने माता-पिता और दादा की देखभाल और निगरानी में रहने का आदेश दिया गया था. इसके बाद पुलिस ने JJB के समक्ष एक आवेदन दायर कर जमानत आदेश में संशोधन की मांग की. 22 मई को बोर्ड ने लड़के को हिरासत में लेने और उसे पर्यवेक्षण गृह में भेजने का आदेश दिया.
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