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Himalayas: हिमालयी क्षेत्र में आई बड़ी मुसीबत ने डराया, निचले इलाकों में मच सकती है भारी तबाही!

by Divyansh Sharma
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Climate Change in Himalayas Glacial Lakes area expansion from 2011 to 2024

Climate change in Himalayas: हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियल झीलों और अन्य जल स्रोतों के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इससे रिहायशी इलाकों पर असर पड़ सकता है 

Climate change in Himalayas: भारत के हिमालयी क्षेत्र से एक डरा देने वाली जानकारी सामने आ रही है. दरअसल, जलवायु परिवर्तन हिमालयी क्षेत्र को तेजी से बदल रहा है.

इससे ग्लेशियल झीलें अपना रौद्र रूप दिखा सकती हैं. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियल झीलों के साथ ही कई अन्य जल स्रोतों का आकार बढ़ता जा रहा है.

इससे ग्लेशियल झील के फटने के बाद आने वाली बाढ़ की आशंका बढ़ गई है.

Climate change in Himalayas: CWC ने की 67 झीलों की पहचान

न्यूज एजेंसी PTI ने केंद्रीय जल आयोग के एक रिपोर्ट के हवाले से इस बात की जानकारी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियल झीलों और अन्य जल स्रोतों के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, झीलों के सतही क्षेत्रफल में 33.7 फीसदी का विस्तार दर्ज किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2011 के दौरान भारत में ग्लेशियल झीलों का इन्वेंट्री क्षेत्र 1,962 हेक्टेयर था.

अब यह साल 2024 (सितंबर महीने तक) के दौरान बढ़कर 2,623 हेक्टेयर हो गया है. ऐसे में सतही क्षेत्रफल में 33.7 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

इसमें भारत के करीब 67 झीलों की पहचान की गई है. इन्हें केंद्रीय जल आयोग ने बड़े जोखिम वाले क्षेत्र में रखा है. बता दें कि यह झीलें लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल में स्थित हैं.

Climate change in Himalayas: रिहायशी इलाकों पर पड़ सकता है असर

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियल झीलों और कई अन्य जल निकायों के कुल क्षेत्रफल में 10.81 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.

यह साल 2011 में 5,33,401 हेक्टेयर था, जो साल 2024 में बढ़कर 5,91,108 हेक्टेयर तक हो गया. झीलों के बढ़ते आकार पर चिंता जताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण यह हाल हुआ है.

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट में इन झीलों को लेकर चेताया गया है कि यह झीलें कभी भी फट सकती हैं. फटने के बाद इससे निचले इलाकों में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है.

केंद्रीय जल आयोग ने यह भी कहा है कि इसके निचले इलाकों के रिहायशी इलाकों और जैव विविधता पर गंभीर असर पड़ सकता है.

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Climate change in Himalayas: संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने भी चेताया

CWC यानी केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट में भूटान, नेपाल और चीन सहित पड़ोसी देशों के भी ग्लेशियल झीलों के बढ़ने से पैदा होने वाले सीमा पार जोखिमों को भी बताया गया है.

केंद्रीय जल आयोग ने कहा है कि सभी को मिलकर इस पर कड़ी निगरानी करने की जरूरत है.

बता दें कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की संस्था इनवायरमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ने बताया था कि भारत समेत कई देशों के मौजूदा प्रयास वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए बेहद कम है.

दावा किया गया था कि इस तरह साल 2019 के स्तर की तुलना में 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन में केवल 2.6 प्रतिशत की कमी आ पाएगा.

ऐसे में ग्लेशियल झीलों के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी सभी को डराने वाली है. हालांकि, वैज्ञानिक इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं.

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