Elections Exit Poll 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजे 04 जून को आएंगे. इससे पहले एग्जिट पोल को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. एग्जिट पोल नतीजों का सटीक पूर्वानुमान लगाने की कोशिश होती है.
02 जून, 2024
Elections Exit Poll 2024: लोकसभा चुनाव में सभी चरणों के लिए मतदान हो चुका है. ऐसे में जनता और सभी पार्टियों को नतीजों का बड़ी बेसबरी से इंतजार है.साथ ही लगातार एग्जिट पोल के सर्वे के अनुसार रुझान भी आने शुरू हो गए हैं. लेकिन यहां सवाल ये भी है कि आखिर ये Exit Poll होता क्या है. एग्जिट पोल वोटिंग के फौरन बाद वोटरों के बीच किया गया सर्वे है. वोटरों से जानने की कोशिश की जाती है कि उन्होंने किस उम्मीदवार का समर्थन किया. सर्वे का मकसद ये अनुमान लगाना है कि कौन सी पार्टी आगे है. ये सर्वे ज्यादातर निजी एजेंसियां करती हैं. अलग-अलग एग्जिट पोल ने हर राजनीतिक दल या गुट के लिए अलग-अलग सीटों का पूर्वानुमान लगाया है.
एग्जिट पोल की दो बुनियादी सोच
एग्जिट पोल की बुनियाद दो मुख्य सोच होती है: पहला, कि वोटर की याददाश्त ताजा है, और दूसरा, कि पोलिंग बूथ से बाहर निकलने के तुरंत बाद पूछने पर उनके सही-सही बोलने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. सर्वे या तो ऑनलाइन होते हैं या निजी तौर पर किए जाते हैं। सर्वे के लिए अलग-अलग एजेंसियां अलग-अलग सैम्पल साइज और तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. हाल के सालों में सैम्पल साइज बड़ा किया गया है। इससे सैम्पल में ज्यादा वोटरों की नुमाइंदगीी होती है। भारत जैसे विशाल देश में सटीक अनुमान लगाने के लिए ये जरूरी है।
एग्जिट पोल क्या है?
वोटिंग के तुरंत बाद वोटरों के बीच किया गया सर्वे, वोटरों से जानने की कोशिश की जाती है कि वे किस उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन करते हैं. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126ए के तहत चुनाव आयोग का निर्देश है कि वोटिंग के दौरान एग्जिट पोल के आंकड़े किसी भी रूप या तरीके से सामने नहीं लाए जा सकते हैं. आंकड़ों पर रोक पहले दिन वोटिंग शुरू होने के साथ लग जाती है. अंतिम दौर का चुनाव खत्म होने के तीस मिनट बाद तक आंकड़ों पर रोक लगी रहती है. इस नियम का मकसद एग्जिट पोल के जरिये वोटरों पर असर डालने से रोकना है.
एग्जिट पोल कैसे किये जाते हैं?
ऑनलाइन या निजी तौर पर, अलग-अलग एजेंसियां अलग-अलग सैम्पल साइज का इस्तेमाल करती हैं. बेहतर अनुमान के लिए बड़ा सैम्पल साइज जरूरी है, वोटरों की ज्यादा नुमाइंदगी होती है.
CSDS सेफोलॉजिस्ट संजय कुमार का बयान
CSDS सेफोलॉजिस्ट संजय कुमार ने बताया कि प्रत्येक वोटर से कुछ वोटर्स का नमूना नहीं पूछा जाता है, जैसे कि पोलिंग बूथ पर 1000 वोटर्स होते हैं, इसलिए आम तौर पर लक्ष्य हर 10वें या 12वें वोटर से पूछा जाता है, इसलिए आपको अलग-अलग मतदान केंद्रों पर 50-60 या 100 वोटर्स का एक सेंपल मिलता है. इसलिए वोटर्स के सेंपल से डेटा इकट्ठा किया जाता है और उसके आधार पर वहां की राजनीतिक राय के बारे में अनुमान लगाया जाता है.
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