George orwell birthplace: बिहार के मोतिहारी में मौजूद घर में ब्रिटिश उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल का जन्म हुआ था. कुछ साल पहले इस घर की मरम्मत करवाई गई थी, लेकिन अब ये घर काफी जर्जर हो चुका है. आवारा जानवर भी इस घर में घूमते रहते हैं. दिन में पहरा रहने के बावजूद रात में यह स्थान नशेड़ियों का अड्डा बन जाता है.
19 May, 2024
British novelist george orwell: ब्रिटिश उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल का जन्म बिहार के मोतिहारी स्थित जिस घर में हुआ था, वह अब काफी जर्जर हो चुका है. कुछ साल पहले इसकी मरम्मत भी कराई गई थी, लेकिन फिर भी इस घर को मजबूती नहीं मिल पाई. घर की खिड़कियां, दरवाजे और छत बहुत पुरानी होने की वजह से गिरने के कगार पर पहुंच गई हैं.
ऑरवेल के प्रति जागरूकता नहीं
डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और लेखक विश्वजीत मुखर्जी का कहना है कि ‘जागरूकता, नो डाउट पहले के मुकाबले काफी जागरूकता आई है. आज की तारीख में मोतिहारी में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है और ज्यादातर युवा पीढ़ी साहित्य पढ़ने में रुचि रख रही है. वो ऑरवेल को पढ़ते भी हैं और जानते भी हैं. लेकिन आम जनमानस में आज भी ऑरवेल के प्रति उतनी जागरूकता नहीं है. चीजें बहुत सारी बदली हैं लेकिन एक पॉजिटिव अपरोच है कि कोई भी विदेशी पर्यटक या पत्रकार जब आता है तो इसे देख कर निराश हो जाता है.’ आवारा जानवर भी इस घर में घूमते रहते हैं. दिन में पहरा रहने के बावजूद रात में यह स्थान नशेड़ियों का अड्डा बन जाता है.
ऑरवेल को साहित्यकार पार्क स्थली घोषित किया जाए
गार्ड रीना कुमारी ने कहा, “मैं गार्ड का काम करती हूं. फिर उनसे सवाल पूछा गया कि कब से आप यहां काम कर रही हैं? और आपका क्या काम होता है? और कितने समय आप यहां रहती हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा, हम यहां देखरेख के लिए 10 से पांच बजे तक रहते हैं. फिर उनसे सवाल पूछा गया कितने समय से हैं? उन्होंने जवाब दिया तीन जनवरी से. इसके बाद उनसे एक और सवाल किया गया कि यहां पर क्या कुछ सुविधा मिलती है? इसके जवाब में उन्होंने कहा जी कुछ-कुछ तो दिक्कत है, पानी, बिजली और सब.’ सामाजिक कार्यकर्ताओं और शोधकर्ताओं की मांग है कि जॉर्ज ऑरवेल के घर को ‘साहित्यकार पार्क स्थली’ घोषित कर दिया जाए. यहां पर दूसरे साहित्यकारों की यादें भी संजोई जाएं.
गवर्नमेंट की तरफ से डिक्लेयर हुआ प्रोटेक्टेड साइट
मोतिहारी के निवासी देव प्रिय मुखर्जी के अनुसार, ‘तो इसके प्रिजरवेशन के लिए, इसका अपलिफ्टमेंट के लिए हम लोग लगातार सरकार में लिखते रहे हैं. जिसका नतीजा हुआ कि 2010 में ये स्टेट गवर्नमेंट की तरफ से प्रोटेक्टेड साइट डिक्लेयर हुआ. इसमें फंड भी आए. कुछ काम भी हुआ. बाउंड्री वॉल बने, इस बिल्डिंग का रिनोवेशन भी हुआ और हर साल हम लोग कुछ ना कुछ एक्टिविटीज यहां करते रहे हैं. स्पेशली इनके जन्मदिन पर और पुण्य तिथि पर.’
ऑरवेल हाउस को बिहार प्राचीन स्मारक घोषित किया
बिहार पुरातत्व महानिदेशालय के अनुसार, ऑरवेल हाउस को 2010 में बिहार प्राचीन स्मारक, पुरातात्विक स्थल अवशेष और कला खजाने अधिनियम 1976 के तहत एक संरक्षित स्थल घोषित किया गया था. अंग्रेजी साहित्य के प्रेमचंद कहे जाने वाले जॉर्ज ऑरवेल का जन्म 25 जून 1903 को हुआ था. उनके पिता रिचर्ड डब्ल्यू ब्लेयर एक अधिकारी के रूप में बिहार में तैनात थे. जब ऑरवेल लगभग एक वर्ष के थे, तब उनकी मां उन्हें इंग्लैंड ले गईं. एनिमल फार्म जैसा मशहूर उपन्यास लिखने वाले जॉर्ज ऑरवेल का 21 जनवरी 1950 को लंदन में निधन हो गया था लेकिन 75 साल बाद भी उनकी यादें मोतिहारी में जिंदा हैं.
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