Godhra Kand: कागज और छपाई की गुणवत्ता की जांच की बात कहते हुए राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने जिला शिक्षा अधिकारियों को किताब वापस मंगाने का निर्देश जारी किया है.
Godhra Kand: देश में एक बार फिर से गोधरा कांड की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. दरअसल, राजस्थान की BJP यानी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सरकारी स्कूलों में एक महीने पहले बांटे गए चार किताबों को वापस मंगाने का आदेश जारी किया है.
इनमें से एक किताब साल 2002 में गुजरात में हुए गोधरा कांड और उसके बाद की घटनाओं पर आधारित है.
Godhra Kand: एक महीने बाद आया फैसला
दरअसल, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने जिला शिक्षा अधिकारियों को एक निर्देश जारी किया था.
निर्देश में कहा गया कि सभी शिक्षा अधिकारी ‘जीवन की बहार'(कक्षा 11 और 12 के लिए), ‘चिट्टी – एक कुत्ता और उसका जंगल फार्म’ (कक्षा 9 से 12 के लिए) और ‘अदृश्य लोग- उम्मीद और साहस की कहानियां’ किताब की सभी बांटी गई प्रतियों वापस मंगाएं.
सभी सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल उन किताबों को ब्लॉक स्तर के कार्यालयों में जमा कराएं. बता दें कि इस निर्देश में राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने तकनीकी खामी का जिक्र किया है.
साथ ही उन्होंने कहा कि कागज और छपाई की गुणवत्ता के लिए GSM (कागज के वजन की जांच का एक मानकीकृत तरीका) जांच की जाएगी. बता दें कि यह आदेश किताबों को बांटने के एक महीने बाद आया है.
नौ लंबे साल नाम के चैप्टर में बताई गई है कहानी
बता दें कि इसी में सें एक किताब में’अदृश्य लोग – उम्मीद और साहस की कहानियां’ में ‘नौ लंबे साल’ नाम का एक चैप्टर है. इसमें लिखा गया है कि गुजरात सरकार ने शुरू में दावा किया था कि गोधरा कांड आतंकी साजिश का परिणाम था.
साथ ही कहा कि गुजरात हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट या विशेष अदालतों में साबित नहीं हुआ था. किताब में बताया गया कि गोधरा कांड के तीन संदिग्धों ने बरी होने से पहले नौ साल जेल में बिताए थे.
चैप्टर में आरोप लगाया गया कि कारसेवकों पर हमले के बाद गुजरात पुलिक के कुछ अंडरकवर अधिकारियों ने एक बस्ती में छापेमारी करते हुए 14 युवकों बिना बताए गिरफ्तार कर लिया.
आगे लिखा गया कि ट्रेन के डिब्बों में आगजनी की घटना के बाद गुजरात के कई मुस्लिम बाहुल्य इलाको में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क गई.
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विपक्ष ने लगाया छात्रों के दिमागों में जहर घोलने का आरोप
इन सब के बीच राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों को स्कूलों में बांटने पर राज्य सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की.
उन्होंने शिक्षा मंत्री पर विभाजनकारी सोच को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक निधि के 30 करोड़ रुपये की बर्बादी की बात कही.
उन्होंने कहा कि शिक्षा की आड़ में नफरत फैलाने और युवाओं के दिमागों में जहर घोलने के लिए कौन जिम्मेदार है? उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मामले की जांच कर सख्त कार्रवाई करने की मांग की.
राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीका राम जूली ने भी बड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा कि सीएम को पुस्तक वापस मंगाने का असली कारण बताना चाहिए.
उन्होंने पूछा कि क्या यह पुस्तक अन्य पुस्तकों के साथ दिल्ली से फटकार के बाद वापस ली गई है.
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