Supreme Court On Waqf Act: गौर करने वाली बात है कि वक्फ कानून संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए ये याचिकाएं दायर की गई हैं. मुस्लिम समुदाय इसको खुद के साथ हो रहे भेदभाव के तौर पर देख रहा है.
Supreme Court On Waqf Act: वक्फ कानून को लेकर देशभर में विवाद छिड़ा हुआ है. इस बीच इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं डाली गई हैं. वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 20 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट में इसपर आज 2 बजे से सुनवाई भी शुरु हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक पहले ये सुनवाई तीन जजों की बेंच को करनी थी लेकिन अब CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है.
कई राजनीतिक दलों ने दर्ज कराई है याचिका
गौर करने वाली बात है कि वक्फ कानून संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए ये याचिकाएं दायर की गई हैं. मुस्लिम समुदाय इसको खुद के साथ हो रहे भेदभाव के तौर पर देख रहा है. इसको लेकर पश्चिम बंगाल में विवाद भी छिड़ा हुआ है. इसी के चलते इस एक्ट को रद्द करने और लागू करने पर रोक लगाने की मांग भी की गई है. कांग्रेस, जेडीयू, AAP, DMK, CPI जैसे दल इसके विरोध में हैं. ये पार्टियां इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई हैं. संसद में जब इस बिल को लेकर वोटिंग की गई थी. तो इन्हीं पार्टियों ने इसका विरोध भी किया था.
बिल के विरोध में खड़े हुए मुस्लिम संगठन और कई एनजीओ
इसके अलावा इस बिल के विरोध में कई मुस्लिम धर्मगुरु, कई संगठन जैसे जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कुछ एनजीओ भी इसका विरोध में खड़े हुए हैं. पश्चिम बंगाल में मुस्लिम उलेमा और इमाम यहां तक दावा कर रहे हैं कि वक्फ शरिया के तहत आता है. इसलिए इसको लागू करना असंवैधानिक है.
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस तरह का कानून धार्मिक मामलों में दखल है. विधान धार्मिक मामलों में प्रबंधन का अधिकार प्रदान करता है. इसके अलावा कपिल सिब्बल ने नए कानून की कमियों को भी बताया. वहीं CJI संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि आपके मुख्य तर्क किस आधार पर हैं. इस पर कपिल सिब्बल ने साफ कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है.
कपिल सिब्बल ने ये भी कहा कि राज्य (सरकार) को ये तय करने का अधिकार किसने दिया कि मुस्लिमों की संपत्ति का बंटवारा (विरासत) कैसे किया जाए. इसपर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनको बीच में टोकते हुए कहा, “हिंदुओं के मामले में भी संपत्ति की विरासत संसद द्वारा जो कानून बनाए गए हैं. उसी हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत तय किए जाते हैं.”
अनुच्छेद 26 ने दिया है सरकार को ऐसे कानून बनाने का अधिकार
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि, “हिंदुओं के मामले में भी संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन किया जाता है. इसीलिए मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया गया है. यह आवश्यक नहीं है कि जिस तरह के कानून हिंदुओं के लिए बनाए गए हैं ठीक वैसे ही मुस्लिमों के लिए भी हो. संविधान का अनुच्छेद 26 इस तरह के कानून बनाने का अधिकार संसद को देता है. यह अनुच्छेद सब के लिए और यह पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष है. यानी यह सभी धर्मों के लोगों के ऊपर पूरी तरह से बराबरी से लागू होगा.”
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