Introduction
Delhi Women CM : देश की राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के साथ भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल बाद सरकार में वापसी की है. राष्ट्रीय राजधानी की राजनीति में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है. चुनाव परिणाम के बाद सीएम के नाम पर चले 11 दिनों के कयासबाजी के बाद नए सीएम का एलान हो गया है. भारतीय जनता पार्टी ने शालीमार बाग सीट से विधायक रेखा गुप्ता को राजधानी की कमान सौंप दी है. इसके साथ ही वह दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के रूप में सामने आई है. इसके अलावा प्रवेश वर्मा को डिप्टी सीएम और विजेंद्र गुप्ता को विधानसभा स्पीकर बनाया गया. दिलचस्प बात यह है कि रेखा गुप्ता दिल्ली में अभी तक चार महिला मुख्यमंत्री बनीं हैं जिसमें सुष्मा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी का नाम शामिल हैं.
Table Of Content
- सुषमा स्वराज
- एक प्रभावशाली नेता
- विदेश मंत्री के रूप में शानदार कार्यकाल
- शीला दीक्षित
- शीला दीक्षित के ये काम आज भी याद रखती है दिल्ली
- आतिशी
- राजनीतिक करियर
- 2019 लोकसभा चुनाव
- 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिला मौका
- मुख्यमंत्री के रूप में
- रेखा गुप्ता
- कौन हैं रेखा गुप्ता?
- ABVP से राजनीति में एंट्री
- विधायक दल की बैठक में हुआ फैसला
- उनका सियासी करियर
- उपलब्धियां
सुषमा स्वराज
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राजधानी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक दमदार वक्ता, कुशल प्रशासक और संवेदनशील नेता भी थीं. उन्होंने 12 अक्टूबर, 1998 को दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. हालांकि, उनका कार्यकाल सिर्फ 52 दिनों का ही रहा, लेकिन इस अवधि में भी उन्होंने जनता से जुड़ी समस्याओं को अपना समझकर ध्यान दिया और समाधान निकालने की कोशिश की. सुषमा स्वराज ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से की थी. सुषमा के पति स्वराज कौशल के समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस से काफी करीबी संबंध थे, जिसके चलते सुषमा स्वराज 1975 में जॉर्ज फर्नांडिस की कानूनी बचाव टीम का हिस्सा बन गईं. सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल की एक बेटी है, बांसुरी स्वराज, जो खुद एक वकील हैं. उनकी बेटी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट की पढ़ाई की है.
एक प्रभावशाली नेता
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14 फरवरी, 1952 को हरियाणा के अंबाला में जन्मीं सुषमा स्वराज बचपन से ही एक मेधावी छात्रा थीं. उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और फिर अपनी किस्मत आजमानें के लिए उन्होंने राजनीति की दुनिया में कदम रखा. सिर्फ 25 साल की उम्र में वे हरियाणा सरकार में मंत्री बनीं. इसके बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्री और विदेश मंत्री जैसे कई अहम पदों पर काम किया.
विदेश मंत्री के रूप में शानदार कार्यकाल
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साल 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. इस पद पर रहते हुए उन्होंने विदेशों में बसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. उन्हें डिजिटल दुनिया के बारे में जानने में भी काफी दिलचस्पी थी. वे सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती थीं और संकट में फंसे भारतीयों की मदद के लिए तुरंत कार्रवाई करती थीं. खासकर विदेशों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के उनके प्रयासों को आज भी सराहा जाता है. साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में भी सुषमा स्वराज का नाम हमेशा याद रखा जाएगा. उनकी बेबाकी, प्रशासनिक क्षमता और जनता से गहरे जुड़ाव हमेशा लोगों के याद में बनी रहेगी.
शीला दीक्षित
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दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शीला दीक्षित ने काम किया. वह वर्ष 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की सत्ता पर कायम रही. इसके अलावा उन्होंने 11 मार्च, 2014 से 25 अगस्त 2014 तक भारत के केरल राज्य की राज्यपाल के रूप में काम किया. वह दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री थीं और देश की पहली ऐसी महिला मुख्यमंत्री थीं जिन्होंने लगातार तीन बार मुख्यमंत्री पद संभाला. इन्हें 17 दिसंबर, 2008 में लगातार तीसरी बार दिल्ली विधानसभा के लिए चुना गया था. साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. केरल के राज्यपाल निखिल कुमार के त्यागपत्र देने के बाद से उनकी नियुक्ति इस पद पर की गई. हालांकि, उन्होंने 25 अगस्त को ही इस पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं, साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम पर मुहर लगाई थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया.
शीला दीक्षित के ये काम आज भी याद रखती है दिल्ली
मेट्रो का विकास
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शीला दीक्षित के नेतृत्व में ही दिल्ली में मेट्रो नेटवर्क की शुरुआत हुई. मेट्रो प्रोजेक्ट का पहला चरण साल 2002 में शुरू हुआ और इसके बाद मेट्रो की सुविधाएं तेजी से बढ़ी. यह प्रोजेक्ट दिल्लीवासियों के लिए एक गेम चेंजर साबित हुआ, जिसने न केवल यातायात की समस्या को हल किया, बल्कि प्रदूषण में भी कमी लाने का काम किया.
कच्ची कॉलोनियों का नियमितकरण
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शीला दीक्षित ने दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों को नियमित करने के लिए कई अहम कदम उठाए. इसके तहत लाखों लोगों को वैध संपत्ति के अधिकार मिले और इन कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाएं जैसे पानी, बिजली और सीवेज की व्यवस्था बेहतर की गई.
पानी और सीवर व्यवस्था में सुधार
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दिल्ली में जल आपूर्ति और सीवेज की समस्या को सुलझाने के लिए शीला दीक्षित ने कई अहम योजनाएं लागू कीं. इसके तहत नई जल आपूर्ति परियोजनाओं की शुरुआत हुई और सीवेज नेटवर्क का विस्तार हुआ, जिससे लोगों को बेहतर पानी और स्वच्छता की सुविधाएं मिलीं.
सड़कों और ट्रैफिक में सुधार
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दिल्ली में ट्रैफिक और सड़क परिवहन को सुगम बनाने के लिए शीला दीक्षित ने कई अहम योजनाएं बनाई. सड़कों को चौड़ा करना, नए फ्लाईओवर और सिग्नल-फ्री मार्गों का निर्माण किया गया, जिससे यातायात की समस्या से लोगों को काफी हद तक राहत मिली.
दिल्ली का सौंदर्यीकरण
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दिल्ली को सुंदर बनाने के लिए शीला दीक्षित ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उन्होंने शहर में बगीचों, पार्कों और हरित क्षेत्रों का विस्तार किया जिससे दिल्लीवासियों को साफ और हरा-भरा वातावरण मिला. इसके अलावा उन्होंने पुराने शहर के क्षेत्र को नया रूप देने के लिए कई परियोजनाएं लागू कीं.
आतिशी
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दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी ने जिम्मेदारी संभाली थी. पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी को सीएम बनने का मौका मिला था. आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी 21 सितंबर, 2024 से 9 फरवरी, 2025 तक दिल्ली की सत्ता संभाली. राजनीति में आने से पहले आतिशी ने लंबे समय तक एक कार्यकर्ता के रूप में काम किया. आतिशी का जन्म दिल्ली में हुआ और यहीं से उनकी शुरुआती पढ़ाई पूरी हुई. दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने मास्टर्स और आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चली गईं. इसके बाद से उन्होंने ऑर्गेनिक खेती से लेकर कई शैक्षणिक पहलों के लिए काम किया. यहीं पर उनकी पहली मुलाकात आम आदमी पार्टी के सदस्यों से हुई. पार्टी की सदस्य बनने से पहले आतिशी आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में इतिहास और अंग्रेजी की टीचर रही थीं.
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राजनीतिक करियर
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आतिशी ने जनवरी 2013 में नीति निर्माण में शामिल हुईं, तब उन्होंने आम आदमी पार्टी के साथ काम करना शुरू किया. वह साल 2015 में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुए जल सत्याग्रह से भी निकटता से जुड़ी रहीं और आम आदमी पार्टी के नेता और इस ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल को न केवल समर्थन दिया, बल्कि उसके बाद की कानूनी लड़ाई में भी सहयोग किया. वर्ष 2020 के चुनावों के बाद, उन्हें गोवा इकाई के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया.
2019 लोकसभा चुनाव
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आतिशी को साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के लिए पूर्वी दिल्ली का लोकसभा प्रभारी नियुक्त किया गया था. उन्होंने इन चुनावों में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. हालांकि, उस साल का चुनाव वह हार गईं. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गौतम गंभीर से 4.77 लाख वोटों के अंतर से हार गईं और तीसरे स्थान पर रहीं.
2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिला मौका
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उन्होंने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली की कालकाजी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार धरमबीर सिंह को 11,422 वोटों से हराया जिसके बाद से वह सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनी रहीं.
मुख्यमंत्री के रूप में
17 सितंबर, 2024 को आम आदमी पार्टी के विधायकों की एक बैठक में जो अरविंद केजरीवाल के आवास पर आयोजित की गई थी, उस बैठक में आतिशी को दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया. इसके साथ ही, वह 43 वर्ष की आयु में दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गईं.
रेखा गुप्ता
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करीब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी कर रही भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर एक महिला को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी है. दिल्ली में आखिरी बार BJP की नेता सुषमा स्वराज गद्दी पर बैठी थीं. अब 27 साल बाद जब दिल्ली में BJP की नई सरकार का गठन हुआ तो फिर से दिल्ली की कमान एक महिला के हाथों में सौंपी जा रही है. रेखा गुप्ता को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. वह आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी.
विधायक दल की बैठक में हुआ फैसला
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इस बैठक में मौजूद BJP नेता रविशंकर प्रसाद ने पत्रकारों के सामने रेखा गुप्ता के नाम का एलान करते हुए कहा कि प्रवेश वर्मा, सतीश उपाध्याय और विजेंद्र गुप्ता ने रेखा के नाम का प्रस्ताव दिया. 9 लोगों ने उनके नाम का अनुमोदन किया. अब हम सब राजभवन जा रहे हैं. रेखा गुप्ता ने पत्रकारों से कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, वीरेंद्र सचदेवा, रविशंकर प्रसाद और सभी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करती हूं. मैं अपने सभी विधायकों का धन्यवाद करती हूं. रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उनके पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी इस पद पर रह चुकी हैं.
कौन हैं रेखा गुप्ता?
रेखा गुप्ता दिल्ली की शालीमार बाग विधानसभा सीट से विधायक हैं. वो दिल्ली BJP की महासचिव और BJP महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. 50 साल की रेखा गुप्ता दक्षिण दिल्ली नगर निगम की मेयर भी रह चुकी हैं. रेखा गुप्ता की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की है. रेखा गुप्ता का जन्म हरियाणा के जींद जिले के जुलाना उपमंडल के नंदगढ़ गांव 1974 में हुआ था.
ABVP से राजनीति में एंट्री
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यहां बता दें कि रेखा गुप्ता दो साल की उम्र में अपने परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गई थी. रेखा गुप्ता के पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर थे. साल 1976 में पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया. रेखा गुप्ता की पूरी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में हुई. इसी दौरान वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी और राजनीति में सक्रिय हुईं. रेखा गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की सचिव और प्रधान भी रह चुकी हैं.
उनका सियासी करियर
रेखा गुप्ता पहली बार विधायक बनी हैं. रेखा गुप्ता ने शालीमार बाग विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार वंदना कुमारी को शिकस्त दी. रेखा गुप्ता को कुल 68200 वोट मिले थे. जबकि AAP की वंदना कुमारी को 38605 वोट ही मिल पाएं थे. यहां से कांग्रेस के प्रवीण कुमार जैन 4892 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
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उपलब्धियां
रेखा गुप्ता का राजनीतिक जीवन अनेक उपलब्धियों से भरा हुआ है .
चुनावी उपलब्धि : नवीनतम 2025 दिल्ली विधानसभा चुनावों में , उन्होंने शालीमार बाग सीट से आप उम्मीदवार वंदना कुमारी को 29,595 मतों के अच्छे बहुमत से हराया.
प्रशासनिक पृष्ठभूमि : उत्तरी दिल्ली में महापौर के रूप में पिछले अनुभव के साथ रेखा गुप्ता के पास मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को बेहतर बनाने के लिए प्रशासनिक विशेषज्ञता है.
सामुदायिक महत्व : अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सामुदायिक विकास, महिला सशक्तिकरण और शैक्षिक सुधार के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है और इन पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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