Home National न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक गबन केस में नया मोड़, महाप्रबंधक पर FIR, EOW ने शुरू की जांच

न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक गबन केस में नया मोड़, महाप्रबंधक पर FIR, EOW ने शुरू की जांच

by Sanjay Kumar Srivastava
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New India Cooperative Bank

मुंबई में 122 करोड़ के गबन के आरोप में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के बड़े अफसरों पर भी शिकंजा कसना शुरू हो गया है. आरोप है कि बैंक के महाप्रबंधक ने साजिश कर ग्राहकों के पैसे में हेराफेरी की और करोड़ों का गबन कर लिया.

MUMBAI: मुंबई में 122 करोड़ के गबन के आरोप में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के बड़े अफसरों पर भी शिकंजा कसना शुरू हो गया है. आरोप है कि बैंक के महाप्रबंधक ने साजिश कर ग्राहकों के पैसे में हेराफेरी की और करोड़ों का गबन कर लिया. इस कार्य में सहयोगियों ने भी उनका साथ दिया. मामले में नया मोड़ तब आया जब बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि घोष ने शुक्रवार को मध्य मुंबई के दादर पुलिस स्टेशन में धन की हेराफेरी की शिकायत दर्ज कराई.

इसके बाद मुंबई पुलिस ने कथित तौर पर 122 करोड़ के गबन के आरोप में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख व उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. एक अधिकारी ने बताया कि आगे की जांच के लिए मामले को शहर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ( EOW) को स्थानांतरित कर दिया गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को बैंक में अपने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए जमाकर्ताओं द्वारा धन की निकासी सहित सहकारी बैंक पर कई प्रतिबंध लगा दिए.

RBI ने ऋणदाता बोर्ड को भंग कर नियुक्त किया प्रशासक

इस बीच शुक्रवार को RBI ने ऋणदाता के बोर्ड को एक साल के लिए भंग कर दिया. मामलों के प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया और उसकी सहायता के लिए सलाहकारों की एक समिति भी नियुक्त कर दी. पुलिस अधिकारी ने कहा कि बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि घोष ने शुक्रवार को मध्य मुंबई के दादर पुलिस स्टेशन से संपर्क किया और धन की हेराफेरी की शिकायत दर्ज कराई.

उन्होंने कहा कि शिकायत के अनुसार बैंक के महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख हितेश मेहता ने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर एक साजिश रची और बैंक के प्रभादेवी और गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों में रखे पैसे से 122 करोड़ रुपये का गबन कर लिया. शिकायत के आधार पर मेहता और अन्य के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 316 (5) (लोक सेवकों, बैंकरों और भरोसेमंद पदों पर बैठे अन्य लोगों द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 61 (2) (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

जांच के दायरे को ध्यान में रखते हुए मामला ईओडब्ल्यू को स्थानांतरित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि एजेंसी ने जांच शुरू कर दी है. मालूम हो कि इस सहकारी बैंक की 28 शाखाओं में से अधिकांश मुंबई महानगर में स्थित है और इसकी दो शाखाएं पड़ोसी राज्य गुजरात के सूरत और एक पुणे में भी है.

ये भी पढ़ेंः अरविंद केजरीवाल के शीशमहल की होगी जांच, CVC ने दिया आदेश; पीएम मोदी ने भी साधा निशाना

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