Martyrs Jallianwala Bagh: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग नरसंहार में देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी है.
13 April, 2024
Martyrs Jallianwala Bagh: 13 अप्रैल के दिन वैसे तो पूरा देश लोहरी का त्योहार मनाता है, लेकिन आज ही के दिन जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था, जिसमें न जानें कितनों लोगों की जान गई थी. इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग नरसंहार में देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने कहा कि उन सभी महान आत्माओं के प्रति देशवासी सदैव ऋणी रहेंगे.
राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि ‘जलियांवाला बाग में मातृभूमि के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि. स्वराज के लिए प्राणों का उत्सर्ग करने वाली उन सभी महान आत्माओं के प्रति देशवासी सदैव ऋणी रहेंगे. मुझे विश्वास है कि उन बलिदानियों की देश-भक्ति की भावना आने वाली पीढ़ियों को सदा प्रेरित करती रहेगी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इन शहीदों की देशभक्ति की भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.
प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि ‘जलियांवाला बाग नरसंहार के सभी वीर शहीदों को देशभर के मेरे परिवारजनों की ओर से कोटि-कोटि नमन.’
अमित शाह ने भी दी श्रद्धांजलि
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि ‘देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अमूल्य योगदान देने वाले जलियांवाला बाग के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि.जलियांवाला बाग ब्रिटिश शासन की क्रूरता और अमानवीयता का जीवंत प्रतीक है। इस हत्याकांड ने देशवासियों के दिलों में छिपी क्रांतिकारी ज्वाला को जगाया और स्वतंत्रता आंदोलन को जन-जन का संघर्ष बना दिया. यहां के स्वाभिमानी लोगों का जीवन जलियांवाला बाग प्रथम राष्ट्र के लिए त्याग और समर्पण की प्रेरणा का शाश्वत स्रोत हैं.’
अलग स्तर की थी क्रूरता
‘रोलेट एक्ट’ के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों लोगों पर ब्रिटिश सेना ने 13 अप्रैल, 1919 को पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में बिना किसी चेतावनी के गोलीबारी की थी. किसी ब्रिटिश अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत तौर पर की गई निर्मम सामूहिक हत्या की यह पहली घटना थी. हिंसा, क्रूरता और राजनीतिक दमन ब्रिटिश काल में हालांकि आम बात थी, लेकिन यह एक अलग स्तर की क्रूरता थी.
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