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सोनिया गांधी का विरोध कर बनाई पार्टी, जानें कौन हैं शरद पवार जिन्होंने बढ़ाई चुनाव के बीच सियासी सरगर्मी

by Divyansh Sharma
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जानें कौन हैं Sharad Pawar जिन्होंने बढ़ाई चुनाव के बीच सियासी सरगर्मी- Live Times

Sharad Pawar: 84 वर्षीय शरद पवार ने बारामती में अपने पोते युगेंद्र पवार के लिए एक चुनावी रैली में मंगलवार (5 नवंबर) को बड़ा बयान दिया है.

Sharad Pawar: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ती ही जा रही है. इस बीच NCP प्रमुख शदर पवार ने अपने बयान से इस सरगर्मी को और भी बढ़ा दिया है.

दरअसल, उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बनाने का संकेत दिया है. बता दें कि साल 2026 में उनका कार्यकाल खत्म होने वाला है. ऐसे में उनके इस बयान ने सियासी अटकलों को हवा दे दी है.

चार बार बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

दरअसल, महाराष्ट्र के दिग्गज नेता 84 वर्षीय शरद पवार ने बारामती में अपने पोते युगेंद्र पवार के लिए एक चुनावी रैली में मंगलवार (5 नवंबर) को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कहीं तो रुकना ही पड़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें अब चुनाव नहीं लड़ना है. उन्होंने आगे कहा कि अब नए लोगों को राजनीति में आगे आना चाहिए.

मैंने अभी तक 14 बार चुनाव जीते हैं और मुझे सत्ता नहीं चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मैं समाज के लिए काम करना जारी रखूंगा. मैं अभी विचार करूंगा कि मुझे राज्यसभा जाना है या नहीं. उन्होंने कहा कि वह पहली बार साल 1967 में महाराष्ट्र विधानसभा में चुनाव जीत कर पहुंचे थे और पांच साल बाद राज्य सरकार में उन्हें मंत्री पद दिया गया. शरद पवार ने कहा कि जनता के आशीर्वाद से राज्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री बना. इसके बाद चार बार मुख्यमंत्री भी बना.

केंद्र में बने रक्षा मंत्री और कृषि मंत्री

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार में बतौर रक्षा मंत्री काम किया और दस साल तक कृषि मंत्री के तौर पर काम किया और आज मैं राज्यसभा का सदस्य हूं. उन्होंने लोकसभा का चुनाव न लड़ने पर कहा कि कुछ साल पहले यह फैसला किया था क्योंकि वह नए नेतृत्व को इसकी जिम्मेदारी देना चाहते थे.

उन्होंने कहा कि फिर मैंने फैसला किया कि मैं स्थानीय राजनीति से दूरी बना लूंगा और सारी जिम्मेदारियां अजीत दादा (अपने भतीजे अजीत पवार) को सौंप दी. उन्होंने दावा किया कि पिछले 25-30 सालों से यह जिम्मेदारियां अजीत पवार के पास ही थी. रैली में उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्यों पर भी प्रकाश डाला. बता दें कि बारामती सीट पर अजीत पवार और युगेंद्र पवार के बीच सीधा मुकाबला है.

1 मई 2023 को त्यागा अध्यक्ष पद

बता दें कि साल 2023 के जुलाई महीने में अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी. वह 40 विधायकों को अपने साथ लेकर सत्तासीन महायुति गठबंधन में शामिल हो गए. दरअसल, शरद पवार ने 1 मई 2023 को पार्टी के अध्यक्ष पद को त्यागने का एलान किया.

उन्होंने मुंबई के YB चव्हाण सेंटर में कहा था कि 1 मई 1960 से 1 मई 2023 तक लंबा सार्वजनिक जीवन बिताने के बाद ठहराव की जरूरत है. इस दौरान पार्टी के सीनियर नेता भावुक हो गए और धरने पर बैठ गए. इसी दौरान उनके भतीजे अजीत पवार मंच पर पहुंचे और कहा कि शरद पवार अपने फैसले पर फिर से विचार करेंगे. हालांकि, इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया.

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भतीजे अजीत पवार ने की बगावत

उनके इस फैसले अजीत पवार बेहद नाराज हो गए और बगावत कर दी. इसके बाद 40 विधायकों के साथ सत्तासीन महायुति गठबंधन में शामिल हो गए. एकनाथ शिंदे की सरकार में उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया. वहीं, उन्होंने पार्टी के चुनाव चिह्न और नाम पर भी दावा ठोक दिया.

बता दें कि शरद पावर ने कांग्रेस पार्टी के साथ साल 1960 में अपने करियर की शुरूआत की थी. कांग्रेस विधायक केशवराव जेधे निधन के बाद खाली हुई बारामती सीट पर हुए उपचुनाव में PWP (पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी) ने शरद पवार के बड़े भाई को प्रत्याशी बनाया था. वहीं, कांग्रेस ने गुलाबराव जेधे को उम्मीदवार घोषित किया था. महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईबी चव्हाण ने इसे साख का सवाल बना लिया था. ऐसे में उन्होंने फिर भी कांग्रेस के लिए ही प्रचार किया और गुलाबराव जेधे की जीत हुई.

27 साल की ही उम्र में बने विधायक

इसके बाद वह साल 1967 में कांग्रेस के टिकट पर ही बारामती सीट के 27 साल की ही उम्र में विधायक बन गए थे. हालांकि, बाद में उन्हें साल 1999 में कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया. दरअसल उन्होंने सोनिया गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने पर उन्होंने विरोध किया था.

उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी विदेशी महिला हैं. ऐसे में वह कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष नहीं बन सकती हैं. इस विरोध के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. निष्कासन के बाद शरद पवार ने पीए संगमा और तारिक अनवर NCP यानी नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का गठन किया. ऐसे में 10 जून 1999 से ही शरद पवार पार्टी के अध्यक्ष बने रहे. अब NCP में भी फूट देखने को मिल रही है.

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