Hindenburg Adani Case : एक बार फिर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप को लेकर बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि SEBI प्रमुख के ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी है.
11 August, 2024
Hindenburg Adani Case : शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Short-selling firm Hindenburg Research) ने एक बार फिर अडानी ग्रुप (Adani Group) को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. इस नए खुलासे में हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई करने में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का अनिच्छा कारण यह हो सकता है कि माधवी पुरी की इस ग्रुप से ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी है. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने रविवार को मांग की कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को इन आरोपों पर संज्ञान लेना चाहिए. दूसरी तरफ सेबी की प्रमुख ने इन आरोपों को ‘निराधार’ और ‘चरित्र हनन’ करने वाला बताया है.
SEBI ने SC से तथ्यों को छिपाया : AAP
AAP ने कहा कि SEBI प्रमुख और उनके पति का पैसा फर्जी कंपनियों में निवेश किया गया था, लेकिन इन तथ्यों को सर्वोच्च न्यायालय से छिपाया गया. अब शीर्ष अदालत को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए और सवाल करना चाहिए कि इतने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया गया था? उन्होंने कहा कि साल 2020 में सेबी ने अडानी ग्रुप की कंपनियों की शेयरधारिता (Shareholding) की जांच शुर की गई. उस दौरान इस बात की जांच की गई थी कि विदेश निवेशक क्या सही में शेयरधारक हैं या प्रमोटरों के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
‘जानबूझकर 3 दिन पहले संसद सत्र समाप्त किया’
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद AAP राज्यसभा सदस्य संजय सिंह (Rajya Sabha Member Sanjay Singh) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग खुलासे की भनक लग गई थी, इसलिए 3 दिन पहले ही मोदी सरकार ने संसद का सत्र समाप्त कर दिया. NDA सरकार सिर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबी है. अपने दोस्त अडानी को बचाने के लिए मोदी जी ने उसी SEBI अध्यक्ष से जांच कराई जिसने अडानी के साथ मिलकर घोटाला किया है. अब उच्चतम न्यायालय को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
पिछले साल भी किया हिंडनबर्ग रिसर्च ने खुलासा
आपको बता दें कि पिछले साल भी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को लेकर बड़ा खुलासा किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने SEBI से नियामक खामियों की जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी गठित करने का आदेश दिया था. कमेटी ने अपनी जांच में अडानी ग्रुप को बेदाग साबित कर दिया. इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि SEBI की जांच के बाद किसी अन्य जांच की आवश्यकता नहीं है.