Ajit Pawar: 65 साल के अजित पवार ने 2019 से तीन बार उप-मुख्यमंत्री का पद संभाला है. 2014 से पहले उन्होंने कांग्रेस-एनसीपी सरकार में भी दो बार ये पद संभाला था.
Ajit Pawar: 1982 में राजनीति में आए
अजित पवार शरद पवार के बड़े भाई दिवंगत अनंतराव पवार के बेटे हैं. जब अजित केवल 18 साल के थे तब ही उनके पिता का निधन हो गया था. सियासत में अपने चाचा शरद पवार के साथ जुड़कर अजित पवार 1982 में राजनीति में आए. तब उन्होंने एक चीनी सहकारी समिति के निदेशकों के बोर्ड का चुनाव जीता था.
Ajit Pawar: मौकापरस्ती के आरोप लगे
अजित पवार ने जब एनसीपी तोड़ी थी तब उन पर मौकापरस्ती के आरोप लगे थे हालांकि, उन्होंने हर बार इन आरोपों को सिरे से खारिज किया. बारामती के विधानसभा चुनाव में अपनी जीत और सूबे में महायुति की बंपर जीत के बाद अजित पवार ने जनता का धन्यवाद अदा किया.
Ajit Pawar: सियासी सफर में कई मोड़ आए
2019 के बाद से अजित पवार के सियासी सफर में कई मोड़ आए हैं. सबसे पहले वे बीजेपी के साथ मिलकर देवेन्द्र फडणवीस की सरकार में उप मुख्यमंत्री बने लेकिन तीन दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वह उद्धव ठाकरे की सरकार में भी उप मुख्यमंत्री रहे.
Ajit Pawar: एकनाथ शिंदे को समर्थन दिया
अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार सत्ता में तब वापसी की जब उन्होंने अपने चाचा शरद पवार से अलग होकर देवेन्द्र फडणवीस के साथ एकनाथ शिंदे को समर्थन दिया.
Ajit Pawar: शिंदे सरकार की नीतियों की खूब तारीफ की
अजित पवार वाली एनसीपी ने लोकसभा चुनाव में केवल एक सीट जीती थी. इससे उनके अलग होने के फैसले पर सवाल उठने लगे थे. लेकिन विधानसभा चुनाव में अजित पवार ने चाचा शरद पवार को अपनी ताकत का एहसास करा दिया है. अजित पवार ने अपने भतीजे युगेंद्र पवार को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया है. युगेंद्र पवार को शरद पवार वाली एनसीपी ने टिकट दिया था और शरद पवार ने उन्हें जिताने के लिए पूरी ताकत भी लगाई थी.
Ajit Pawar: चुनावी युद्ध में चाचा को दे दी करारी मात
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सारे आरोपों का जवाब दे दिया है. अजित पवार की इस जीत को महाराष्ट्र में बड़े सियासी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि भतीजे ने चुनावी युद्ध में दिग्गज चाचा को करारी मात दे दी है.