Bihar News:बिहार की पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें जातीय गणना के बाद आरक्षण की सीमा को बढ़ाने का फैसला लिया गया था.
20 June, 2024
Bihar News: जाति जनगणना के बाद महागठबंधन सरकार ने जो आरक्षण की नई सीमा बनाई थी, उसे पटना हाई कोर्ट ने अवैध करार दे दिया है. आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की महागठबंधन सरकार ने कानून में संशोधन किया. इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इसकी संवैधानिक वैधता को खारिज कर दिया है.
आरक्षण कानूनों में संशोधन असंवैधानिक- HC
पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने उन याचिकाओं पर आदेश पारित किया, जिन्होंने नवंबर 2023 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा लाए गए कानूनों का विरोध किया था. सुनवाई के दौरान याचिककर्ता ने कहा कि, ‘हमने कहा था कि आरक्षण कानूनों में संशोधन संविधान का उल्लंघन है.’ हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मार्च में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उसके ढाई महीने के बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को अपना अंतिम आदेश जारी किया.
आरक्षण कानून में क्या था संशोधन?
दरअसल, बिहार में महागठबंधन की सरकार ने राज्य में जातीय गणना कराने के बाद सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी, ईबीसी, दलित और आदिवासियों के आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था. इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 प्रतिशत कोटा जोड़ने के बाद कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो गया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
तेजस्वी का तंज PM के पांव पकड़े नीतीश
बिहार के पूर्व डिप्टी CM तेजस्वी यादव ने कहा ‘नीतीश कुमार को पीएम मोदी के पांव पकड़ कर इस फैसले को बदलवाना चाहिए. महागठबंधन की सरकार में नीतीश कुमार और मैने आरक्षण की सीमा बढवाई थी. हमने तय किया था कि पीएम से मिलकर इस संशोधन को 9वीं अनुसूची में डलवाएंगे, ताकि कोई कोर्ट इसे बदल नहीं सके. अब नीतीश जी एनडीए सरकार में हैं, पीएम के पांव छूते रहते हैं, तो ये उनकी जिम्मेदारी है, कि वो 9वी अनुसूचि को लेकर बात करें’
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