Political Analysis: पिछले विधानसभा चुनाव 2023 से ही BJP ऐसी कई रणनीति तैयार कर रही है, जिसने लोगों को हैरान किया. लोकसभा चुनावों के बाद ताजा मामला है ओडिशा का. BJP ने यहां सबको चौंकाते हुए सीएम आदिवासी समुदाय से बनाना का एलान किया है.
11 June, 2024
नई दिल्ली, धर्मेंद्र कुमार सिंह, लाइव टाइम्स: पहले राष्ट्रपति पद के आदिवासी का चुनाव और अब ओडिशा में आदिवासी मुख्यमंत्री. BJP के इस फैसले में कहीं न कहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों का असर दिखता है. दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में BJP को बहुमत नहीं मिला. BJP बहुमत से 32 सीट पीछे रह गई है. बहुमत नहीं मिलने के बाद कहा गया कि ओबीसी, दलित और आदिवासियों के वोटों पर से BJP की पकड़ ढीली हो रही है. तो क्या उड़ीसा जैसे राज्य में BJP अपने राजनीतिक फैसले से नया सामाजिक समीकरण साध रही है?
माझी के नाम से ‘मास्टर स्ट्रोक’
BJP ने जिस तरह ओडिशा के मुख्यमंत्री के तौर पर मोहन चरण माझी को चुना है, इससे जाहिर तो यही होता है. गौर करने की बात है कि ओडिशा में BJP को पहली बार बहुमत मिला है. BJP ने ओडिशा में मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए दो केनं पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और भूपेन्द्र यादव को विधायक दल का नेता चुनने के लिए भुवनेश्वर भेजा था.
इन दोनों पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में भुवनेश्वर में पार्टी विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें मोहन चरण माझी को नेता चुना गया. माझी बुधवार (12 जून) को ओडिशा के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे. मोहन चरण माझी के साथ दो डिप्टी सीएम भी शपथ लेंगे. डिप्टी सीएम के लिए केवी सिंह देव और प्रवाती परिदा का नाम तय किया गया है. हालांकि ये दोनों नेता भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे. लगता है कि मुख्यमंत्री का फैसला तो दिल्ली में ही हो चुका था, इसकी औपचारिकता घोषणा राजधानी भुवनेश्वर में पूरी हुई.
कौन हैं मोहन चरण माझी?
1972 में ओडिशा के क्योंझर जिले के रायकलां में जन्मे मोहन चरण माझी आदिवासी समुदाय से आते हैं और साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. शुरुआती शिक्षा के बाद माझी ने पहला चुनाव ग्राम पंचायत का लड़ा था. उस चुनाव में वो सरपंच चुने गए थे. इसके बाद वे धीरे-धीरे जिला और राज्य स्तर की राजनीति में सक्रिय होते गए. इसी दौरान वो BJP से जुड़े और साल 2000 में पहली बार विधायक बने. माझी की गिनती धीरे-धीरे ओडिशा BJP के कद्दावर आदिवासी नेता के रूप में होने लगी. आरएसएस से भी उनके संबंध बेहद मजबूत बताए जाते हैं. चुनाव में दिए गए हलफनामे के मुताबिक माझी की संपत्ति करीब 2 करोड़ है.
आदिवासी पर दांव क्यों?
दरअसल, कमंडल की राजनीति में मंडल की राजनीति कमजोर हो गई थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में BJP को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत कई प्रदेशों में झटका लगा. अब कहा जा रहा है कि मंडल पर कमंडल पर पकड़ ढीली होता जा रही है. 2024 लोकसभा चुनाव में BJP को करीब 63 सीटों का नुकसान हुआ है.
हालांकि मोदी ने पहले ही द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति बनाने का फैसला लिया था. इसके जरिए आदिवासी वोटरों में मोदी को ये संदेश देना था कि आदिवासी की हितैषी सिर्फ BJP है. यही नहीं पिछले साल विधानसभा चुनावों के बाद छत्तीसगढ़ में भी BJP ने आदिवासी विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया. दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 में BJP पिछले चुनाव की तुलना में 92 सीट हारी, लेकिन 32 नई सीट जीती है. BJP जो 92 सीट हारी है उसमें 63 सामान्य सीट, 18 दलित और 11 आदिवासी सीट है. खास बात यह है कि ओडिशा में विधानसभा की 33 सीटें आदिवासी बहुल हैं, जबकि लोकसभा की 5 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है.
झारखंड और महाराष्ट्र पर नजर
दरअसल, इस साल झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. झारखंड में पार्टी 5 साल से सत्ता से दूर है. झारखंड में आदिवासी वोटरों का खासा प्रभाव है. झारखंड की 81 विधानसभा में 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, जबकि झारखंड की 5 सीटें और महाराष्ट्र की 4 सीटें आदिवासियों के लिए लोकसभा में रिजर्व हैं.
रही बात विधानसभा की तो सीटों के लिहाज से महाराष्ट्र दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. यहां की 288 सीट में से 29 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. यहां गौर करने की बात है कि अपने तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी जाति समीकरण को साधते नजर आ रहे हैं. 72 मंत्रियों वाले नए मंत्रिमंडल में 27 मंत्री ओबीसी से, 10 दलित समुदाय से, 5 आदिवासी और 5 अल्पसंख्यक समाज से मंत्री बनाए गए हैं. केंद्र से लेकर राज्यों तक BJP ने अपना आदिवासी कार्ड खेल तो दिया अब देखना है कि BJP की ये सियासी चाल विधानसभा चुनाव में क्या गुल खिलाती है?
(लेखक, धर्मेंद्र कुमार सिंह, लाइव टाइम्स में इनपुट एडिटर हैं)
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