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CAA: 4 राज्यों में नहीं लागू होगा नागरिकता संशोधन कानून?

by J P Yadav
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Citizenship Amendment Act will not be implemented in 4 states

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सोमवार शाम को अधिसूचना जारी होने के बाद देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू कर दिया गया है। इसके बाद इस नए कानून से अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यक भारतीय नागरिक बन सकेंगे। उधर, देश के पूर्वोत्तर राज्यों में शुमार मेघालय, असम, अरुणाचल और मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू नहीं होगा। इसका एलान खुद केंद्र सरकार ने किया है। सीएए के अनुसार, असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के उन आदिवासी इलाकों में सीएए के प्रावधान लागू नहीं होंगे, जिन्हें संविधान की छठी अनूसूची के तहत संरक्षित किया गया है. यहां पर बता दें कि इनर लाइन परमिट सिस्टम वाले पूर्वोत्तर के राज्यों में भी सीएए लागू नहीं होगा.

पूर्वोत्तर के कई राज्यों में है विरोध

दरअसल, इन राज्यों के लोगों का कहना है कि पड़ोसी देश बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को इनके राज्यों में नागरिकता मिलती है तो उनके राज्य के संसाधन बंट जाएंगे। इसके विरोध में असम, मेघालय समेत कई राज्यों में लोग सड़कों पर उतर आए थे. यही वजह है कि सरकार ने कानून लागू करते समय एलान किया कि मेघालय, असम, अरुणाचल और मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में सीएए लागू नहीं किया जाएगा।

शुरू हो गया विरोध, दो राज्य सरकारों ने कहा- नहीं करेंगे लागू

उधर, डीएमके नेता सरवनन अन्नादुराई का केंद्र द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के कार्यान्वयन की घोषणा पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड के दानकर्ताओं का खुलासा नहीं करने के लिए भारतीय जनता पार्टी को करारा तमाचा मारा। एसबीआई ने मोहलत मांगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल (मंगलवार) तक आपको व्यक्तियों और संस्थाओं के नाम का खुलासा करना होगा। उन्होंने कहा कि जिन्होंने चुनावी बांड के माध्यम से दान दिया है। अन्यथा, आपको जानबूझकर अवज्ञा और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​के परिणाम भुगतने होंगे। इस विषय पर चर्चा से हमें विचलित करने के लिए, भाजपा एक विभाजनकारी कानून लेकर आई है. इस बीच केरल और पश्चिम बंगाल की सरकार ने सीएए लागू नहीं करने की बात कही है.

केंद्र के पास होगा नागरिकता देने का अधिकार

यहां पर बता दें कि कि वर्ष 2019 में केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था। इसके तहत पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता का प्रस्ताव दिया गया था. नागरिकता से जुड़े अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में हैं.

यह भी पढ़ें: CAA Act Rules: क्या है नागरिकता संशोधन कानून? किन्हें मिलेगा लाभ और प्रावधान क्या हैं?

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