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Fourth Phase Voting 2024: चौथे फेज में मतदान ने रचा इतिहास, किसको होगा फायदा?

by Live Times
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Fourth Phase Voting 2024

Fourth Phase Voting 2024: देश में 543 सीटों में से 380 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं, लेकिन सबसे दिलचस्प ये है कि चौथे चरण में बंपर वोटिंग हुई है. मतदान ही नहीं बढ़ा है बल्कि लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना में 96 सीटों पर इतिहास रचा है.

15 May, 2024

धर्मेन्द्र कुमार सिंह, लाइव टाइम्स: गौर करने की बात है कि 2019 में 96 सीटों पर 69.12 फीसदी मतदान हुआ था. चुनाव आयोग ने जो आंकड़ा जारी किया है उसमें पोस्टल बैलेट पेपर शामिल नहीं है, जबकि इतनी ही सीटों पर पिछली बार 524911 पोस्टल बैलेट पेपर पड़े थे यानि पोस्टल बैलेट पेपर की मतदान में .46 फीसदी थी. चुनाव आयोग के संशोधित आंकड़ों में इस जोड़ दिया जाए तो मतदान 69.62 फीसदी हो जाएगा यानि पिछले चुनाव की तुलना में .50 फीसदी की बढ़ोतरी दिख रही है हालांकि शुक्रवार को चुनाव आयोग फिर से आंकड़ा जारी करने वाला है. इसमें अनुमान है कि मतदान 71 फीसदी के पार जा सकता है, जो कि ऐतिहासिक होगा, जबकि देश में तीन चरणों में चर्चा हो रही थी कि मतदान क्यों घट रहे हैं. चौथे चरण में 96 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुए. चुनाव आयोग ने पहले आंकड़ा जारी करके ये बताया कि 96 सीटों पर 62.84 फीसदी मतदान हुए हैं जो कि पिछले चुनाव की तुलना में कम था. लेकिन चुनाव आयोग के संशोधित आंकड़ों में ये साफ हुआ कि मतदान 69.16 फीसदी हुआ है.

Fourth Phase Voting 2024: पहले चरण में 66.14 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2019 में 69.57 फीसदी मतदान हुआ यानि 2019 की तुलना में 3.43 फीसदी का नुकसान दिखा. वहीं दूसरे चरण में 66.71 फीसदी मतदान हुआ, जबकि 2019 में इतनी ही सीटों पर 70.09 फीसदी मतदान हुआ था मतलब 3.38 फीसदी कम मतदान हुआ है. ये समझने की जरूरत है पहले फेज की तुलना में दूसरे फेज में हल्का सुधार हुआ, सवाल है कि ऐसा क्या हुआ?

क्यों बढ़ा मतदान?

पहले फेज में मतदान कम होने से कयास का दौर शुरू हुआ कि ये सरकार के लिए खतरे की घंटी है, जबकि कम और ज्यादा मतदान से जीत और हार का सामान्यत कोई रिश्ता नहीं होता है, लेकिन चुनावी मौसम में नैरेटिव से भी माहौल बन जाता है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहले फेज के दो दिन बाद मोदी ने राजस्थान की रैली में कांग्रेसी घोषणा पत्र को हवाला देकर मंगलसूत्र, मुस्लिम, विरासत टैक्स और ओबीसी, दलित और आदिवासी के आरक्षण का मुद्दा उछाल दिया था.

मोदी रैली के दौरान लगातार ऐलान करते रहे कि उनके रहते हुए धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं हो सकता है, कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष को भनक लगी कि कम मतदान से पार्टी को नुकसान हो सकता है. इसीलिए पार्टी ने चुनावी रैली में हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे को उछाल दिया, वहीं अपने कैडर में जान फूंकने की कोशिश की ताकि ज्यादा से ज्यादा मतदान हो सके. दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों ने ये माहौल बनाने की कोशिश की कि इस बार मोदी सरकार 400 के पार नहीं जा पाएगी. साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 400 के नारे से ये माहौल बना कि मोदी सरकार आने वाले हीं हैं इसीलिए वोटरों में सुस्ती सी आ गई, नहीं भी वोट डालेंगे तो मोदी की ही जीत होगी.

घोषणा पत्र के जरिए वोटरों को लुभाने की कोशिश की गई

सत्ता पक्ष ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र के जरिए वोटरों को लुभाने की कोशिश की है. उनकी सरकार आने के बाद पांच गारंटी को पूरा किया जाएगा, जिसमें जातिगत जनगणना कराना, आरक्षण के 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाने की कवायद, किसानों के लिए सारे फसलों पर एमसीपी देने की बात और गरीब महिला के खाते में सालाना 1 लाख रूपये देने की बात पर जोर देने लगी. एक तरफ रैली में चुनावी मु्द्दों पर जोर दिया गया, जबकि दूसरी तरफ पार्टी और कैडर में उत्साह भरने की कोशिश की गई है.

370 के बाद कश्मीर में बंपर वोटिंग

गौर करने की बात है कि जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीट श्रीनगर में 1996 के बाद पहली बार बंपर वोटिंग हुई है. श्रीनगर में 2019 की तुलना में 24.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. तेलंगाना में भी 2.98 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. ओडिशा में 1.73 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आंध्रप्रदेश में 1.02 फीसदी, महराष्ट् में 0.92 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पहले से तीसरे फेज में बिहार और उत्तरप्रदेश में कम मतदान हुए थे लेकिन चौथे फेज में तस्वीर बदली और अब सिर्फ पिछले चुनाव की तुलना में 1 फीसदी का फासला रहा गया है. उत्तरप्रदेश में .45 फीसदी और बिहार में .79 फीसदी कम मतदान हुआ. झारखंड में .71 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 2.46 और मध्य प्रदेश में 3.56 फीसदी मतदान कम हुए हैं. अब देखने की बात है कि बचे हुए तीन फेज में वोटिंग का प्रतिशत क्या रहता है?

(लेखक लाइव लाइम्स में इनपुट एडिटर हैं)

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