Home National औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने वाले फैसले का HC ने किया स्वागत, CM शिंदे बोले- MVA ने किया विरोध

औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने वाले फैसले का HC ने किया स्वागत, CM शिंदे बोले- MVA ने किया विरोध

by Live Times
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Eknath Shinde aurangabad osmanabad

Lok Sabha Election 2024 : एकनाथ शिंदे कहा कि जून 2022 में तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार द्वारा अनुमोदित औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलना ‘अवैध’ था क्योंकि अविभाजित शिव के एक वर्ग के विद्रोह के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन ने अपना बहुमत खो दिया था.

08 May, 2024

Lok Sabha Election 2024 : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस कदम का विरोध करने वाले लोग विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (MVA) से जुड़े हुए हैं.

शिंदे कैबिनेट ने बदला नाम

एकनाथ शिंदे ने कहा कि जून 2022 में तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार द्वारा अनुमोदित औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलना ‘अवैध’ था क्योंकि अविभाजित शिव के एक वर्ग के विद्रोह के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन ने अपना बहुमत खो दिया था. एमवीए सरकार के पतन के बाद 30 जून, 2022 को शिंदे के सीएम बने और उनकी कैबिनेट ने औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने को मंजूरी दी. 16 जुलाई, 2022 को नाम बदलने के लिए एक सरकारी प्रस्ताव पारित किया गया और फिर मंजूरी के लिए केंद्र को भेज दिया गया.

बालासाहेब ठाकरे का सपना हुआ पूरा

सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज (8 मई 2024) छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव का नाम बदलने को मान्यता दे दी है. शिवसेना संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे का सपना पूरा हो गया है. कुछ लोग जिन्होंने इस फैसले का विरोध किया और अदालत में चले गए वो एमवीए से थे. उन्होंने कहा कि यह (अदालत का फैसला) उन लोगों के लिए एक सबक है जिन्होंने छत्रपति संभाजीनगर का नाम बदलने का विरोध किया था. छत्रपति संभाजीनगर शहर और बालासाहेब ठाकरे के बीच गहरा संबंध था. जो लोग ढाई साल तक सरकार में थे, उन्होंने नाम बदलने का फैसला लिया.

नाम बदलने के खिलाफ याचिका को HC ने किया खारिज

इससे पहले दिन में एचसी ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और राज्य सरकार द्वारा (नाम बदलने के लिए) जारी अधिसूचना में किसी हस्तक्षेप की जरुरत नहीं है.

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