1 March 2024
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज 73 साल के हो गए हैं । उनके जन्मदिन पर बधाई का तांता लगा हुआ है । प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री ने उन्हें बधाई दी है । नीतीश कुमार को राजनीतिक जगत का एक बड़ा चेहरा माना जाता है । नीतीश के राजनीतिक करियर की अगर बात करें तो इसमें कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। नीतीश कुमार ने नौ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है । साल 2005 से नीतीश सत्ता में हैं, उनके सहयोगी बदलते रहे, लेकिन कुर्सी उन्होंने नहीं छोड़ी तो चलिए आज उनके जन्मदिन पर नीतीश के राजनीतिक सफर के बारे में जानते हैं ।
विद्युत बोर्ड में की थी नौकरी
नीतीश कुमार ने बिहार इंजीनियरिंग कालेज से पढ़ाई की है । छात्र जीवन में ही वो राजनीति में आ गए थे, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की राजनीति में आने से पहले बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में उन्होंने नौकरी की थी । हालांकि कुछ दिनों बाद ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीतिक जगत में कदम रख दिया । ये वही दौर था, जब लालू यादव भी राजनीति में आ रहे थे । दोनों ही नेताओं का राजनीतिक करियर जनता दल से जुड़ने के बाद परवान चढ़ा था ।
हरनौत सीट से पहली बार लड़े थे चुनाव
नीतीश कुमार ने पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर हरनौत सीट से 1977 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वो ये चुनाव हार गए थे । इसी सीट पर तीसरे प्रयास में उन्हें जीत मिली थी । जिसके बाद उन्होंने जनता दल का दामन थाम लिया था । जनता दल से ही 1989 में नीतीश कुमार बाढ़ संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे । जिसके बाद साल 2004 तक वो लगातार सांसद बने रहे। कहा जाता है कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय नीतीश कुमार का खुब नाम हुआ था । इसी दौरान वो केंद्र में रेलवे मंत्री बने थे ।
मुख्यमंत्री बनाने में बीजेपी की बड़ी भूमिका
नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने में बीजेपी की बड़ी भूमिका मानी जाती है । ये वक्त था साल 2000 का जब पहली बार एनडीए को बिहार में सरकार बनाने का मौका मिला था । उस समय नीतीश कुमार समता पार्टी के नेता थे और इस चुनाव को जनता दल और समता पार्टी ने मिलकर लड़ा था । जिसमें बीजेपी को 67, समता पार्टी को 34 और जनता दल को 21 सीटें मिली थीं । वहीं, आरजेडी को 124 सीटें मिली थीं, जो कि सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन आरजेडी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था । आपको बता दें कि उस समय झारखंड भी बिहार का ही हिस्सा था, तब झारखंड नहीं बना था । बिहार विधानसभा में उस समय 324 सीटें थीं । ऐसा कहा जाता है कि बीजेपी ने तब मुख्यमंत्री बनने के लिए नीतीश कुमार को आगे किया था ।
सुशील मोदी ने नाम किया था आगे
ऐसा कहा जाता है कि बीजेपी नेता सुशील मोदी ने ही नीतीश कुमार का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया था । जिसके बाद नीतीश कुमार को बिहार में एनडीए विधायक दल के नेता के तौर पर चुना गया था। हालांकि वो केवल सात दिन के लिए ही बिहार के मुख्यमंत्री बने थे क्योंकि विधानसभा में बीजेपी बहुमत साबित नहीं कर पाई थी । ऐसे उन्हें पद छोड़ना पड़ गया था । साल 2005 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 17 मई 2014 तक लगातार मुख्यमंत्री बने रहे ।
साल 2015 से हैं लगातार बिहार के मुख्यमंत्री
साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पांचवी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे । 2017 में लालू यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी पर आईआरसीटीसी घोटाले का आरोप लगा था । जिसके बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ दिया था और एनडीए का दामन थाम लिया था । साल 2020 में भी एनडीए गठबंधन ने जीत हासिल की थी और नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री बने थे । 2022 में उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ दिया और महागठबंधन के साथ साथ आ गए । जिसके बाद उन्होंने आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी ।
महागठबंधन से तोड़ दिया नाता
इसी साल जनवरी महिने में ही नीतीश कुमार ने फिर से महागठबंधन से नाता तोड़ दिया और एनडीए के साथ मिलकर सरकार बना ली । नौवीं बार नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली । सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया ।