UK General Election: ब्रिटेन(Britain) की 650 सीटों पर 4 जुलाई को आम चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी के बीच मुकाबला होगा. गुरुवार की सुबह 10 बजे से ही वोटिंग शुरू हो जाएगी और रात 10 बजे तक चलेगी.
03 July, 2024
UK General Election: ब्रिटेन(Britain) की 650 सीटों पर 4 जुलाई को आम चुनाव होने जा रहा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपनी सरकार को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. वहीं, विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टर्मर ने सत्ता में आने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. हालांकि, ब्रिटेन की मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पीएम ऋषि सुनक पर हार का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत और ब्रिटेन में होने वाले चुनाव में जमीन आसमान का अंतर हैं. चलिए आपको बता हैं कि कैसे भारत का आम चुनाव ब्रिटेन के आम चुनाव से अलग है.
नहीं लगते हैं सड़कों-दीवारों पर पोस्टर
हाल में भारत में लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ है. चुनाव के दौरान आपने अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों के नाम के पोस्टर व बैनर सड़कों और गलियों में लगा देखा होगा. सभी पार्टियों के नेता रैली, रोड शो और जनसभाएं कर रहे थे. लेकिन ब्रिटेन में ऐसा कुछ भी नहीं होता है. वहां ना तो भारत की तरह चुनावी माहौल देखने को मिलता है और ना ही सड़कों-दीवारों पर किसी पार्टी या प्रत्याशी के पोस्टर, बैनर और होर्डिंग लगते हैं.
प्रत्याशी डोर-टू-डोर जाकर मांगते हैं वोट
चुनाव के महज कुछ दिनों पहले से ही धीमी गति से प्रचार होता है और शनिवार-रविवार को प्रत्याशी डोर-टू-डोर जाकर वोट मांगते हैं. वहीं, ब्रिटेन में बैलेट बॉक्स में वोट डाले जाते हैं, जबकि भारत में EVM के जरिए चुनाव होता है.
ऐसे होता है पीएम का चुनाव
ब्रिटेन में सीधे प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव नहीं होता है. बल्कि चुनाव के जरिए तय किया जाता है कि पार्टी का नेता कौन होगा. पार्टी का समर्थन जिसको सबसे ज्यादा मिलता है वह ही प्रधानमंत्री पद की शपथ लेता है. ब्रिटेन की चुनाव प्रक्रिया भारत की तरह काफी लंबी नहीं होती है. हालांकि भारत की तरह ही ब्रिटेन में भी संसदीय व्यवस्था है, लेकिन वहां सत्ताधारी पार्टी नेता का चुनाव काफी मुश्किल होता है. पीएम पद के उम्मीदवार को पार्टी सांसदों का ही नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं का भी समर्थन हासिल करना होता है. वहीं, अगर भारत की बात की जाए तो आम चुनाव के बाद सदन में बहुमत प्राप्त दल का नेता ही प्रधानमंत्री बनता है.
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