Lok Sabha elections 2024: बिहार में चार (जमुई, औरंगाबाद, नवादा और गया) सीटों पर सिर्फ 48.5 फीसदी वोटिंग हुई है. गौर करने की बात है कि लोकसभा चुनाव 2019 में इन चार सीटों पर 53.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.
20 April, 2024
नई दिल्ली, धर्मेन्द्र कुमार सिंह: देश में पहले चरण में 102 लोकसभा सीटों (Bihar Lok Sabha elections 2024) पर मतदान हो चुका है, लेकिन मतदान की चर्चा बिहार की हो रही है, क्योंकि राज्य में सबसे कम वोटिंग हुई है. देश का पहला राज्य है, जहां सबसे कम वोटिंग हुई है. देश में 102 सीटों पर औसतन 63.7 प्रतिशत वोटिंग हुई, लेकिन बिहार में चार सीटों पर सिर्फ 48.5 फीसदी वोटिंग हुई है. गौर करने की बात है कि लोकसभा चुनाव 2019 में इन चार सीटों पर 53.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसका मतलब यह है कि 5.0 प्रतिशत की गिरावट हुई है. गया लोकसभा सीट पर इस बार 52 प्रतिशत वोटिंग हुई, जबकि 2019 में 56.18 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसी तरह औरंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार यहां 50 फीसदी वोटिंग हुई, जबकि 2019 में 53.67 प्रतिशत मतदान हुआ था. नवादा सीट की बात करें तो यहां पर महज 41.5 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2019 में 49.73 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसी तरह जमुई लोकसभा सीट पर करीब 50 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में 55.21 प्रतिशत मतदान हुआ था. मतदान कम हुए हैं, लेकिन सारी पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं, लेकिन अंदर की बात है कि प्रत्याशियों के दिलों की धड़कने बढ़ गई हैं.
वोटरों में उत्साह क्यों कम है?
बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश में इस बार मतदान कम हुआ है. इस बार 102 लोकसभा सीटों पर 63.7 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जबकि पिछली बार इन्हीं सीटों पर करीब 70 प्रतिशतमतदान हुआ था यानी 6 प्रतिशत की गिरावट है. इससे साफ जाहिर होता है कि वोटरों में उत्साह कम है. सवाल है क्या सत्ताधारी एनडीए से लोगों की नाराजगी है या विपक्षी इंडिया गठबंधन से बेरुखी है? क्या सत्ता पक्ष और विपक्ष से वोटरों का मोहभंग हो गया है? क्या सरकार और विपक्ष जनता की उम्मीदों पर खड़ा नहीं हो पा रहा है? सवाल यह भी है कि किस पार्टी के वोटर मतदान केन्द्र में नहीं पहुंचे? कम मतदान से किस पार्टी को नुकसान होगा? और किसको फायदा होगा? कई सवाल हैं जिसकी तलाश इस स्टोरी में की जा रही है.
क्या भीषण गर्मी की वजह वोटर नहीं आए
अप्रैल का महीना है, लेकिन बिहार में राजनीतिक गर्मी पर मौसम की गर्मी भारी हो गई है. पिछले शुक्रवार से बिहार में भारी गर्मी पड़ रही है. पटना समेत प्रदेश के 11 जिलों में तापमान 41 डिग्री से लेकर 43 डिग्री दर्ज किया गया. बताया जा रहा है कि लोग गर्मी की वजह से मतदान केंद्र पर नहीं पहुंचे और घर में ही दुबक गए. वहीं, मतदान केंद्र पर गर्मी से निपटने की तैयारी नहीं थी मसलन पानी,टेंट इत्यादि की व्यवस्था नहीं थी.
क्या पलायन बड़ी वजह है
बिहार इकलौता राज्य है जहां अक्सर वोटिंग कम होती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब 67 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि बिहार में 57.33 फीसदी वोटिंग हुई थी. देश के मतदान और बिहार के मतदान में करीब 10 प्रतिशत का फासला था. बिहार में वोटिंग कम होने की वजह पलायन भी बताया जाता है. लोग रोजी रोटी के लिए पलायन करते हैं. मतदाता सूची में भले नाम तो रहते हैं, लेकिन वो मतदान करने के लिए अपने प्रदेश नहीं लौटते हैं. कहा जाता है कि बिहार में 20 प्रतिशत लोग पलायन करते हैं. बताया जाता है कि बिहार जाति सर्वेक्षण के अनुसार, 9.98% हिंदू ‘उच्च जाति’ की आबादी राज्य से बाहर चली गई है, जिससे उनकी मतदान शक्ति कम हो गई है. ओबीसी में से 5.39% लोग पलायन कर चुके हैं और ईबीसी में से 3.9% लोग पलायन कर चुके हैं. ये स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं, जबकि अस्थायी रूप से भी पलायन करते हैं लेकिन वो आते जाते रहते हैं लेकिन मतदान के दौरान ज्यादातर लोग नहीं लौटते हैं.
क्या नीतीश से लोग आजिज हो चुके हैं?
नीतीश कुमार को राज्य में खुद का बहुमत नहीं है, लेकिन बैसाखी के सहारे करीब 18 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं. कभी वो बीजेपी का सहारा लेते हैं कभी आरजेडी का. सबसे बड़ी बात है कि बिहार में नौकरी नहीं है, उद्योग धंधे नहीं है, ज्यादातर लोगों के पास कम जमीन है इसीलिए वो पलायन करने को मजबूर हैं. जो पलायन नहीं कर पाते हैं उनकी माली स्थिति बदतर है. यही नहीं प्रदेश में कानून व्यवस्था ठीक नहीं है. चरम भ्रष्टाचार का आरोप लगता है. लोग ऑफिस और अदालत का चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन काम नहीं होने से एक नाराजगी देखी जाती है. आम आदमी की जिंदगी में उल्लेखनीय सुधार नहीं होने की वजह से लोगों में नाराजगी है, लेकिन राजनीतिक सिस्टम ऐसा है कि लोग मुख्यमंत्री परिवर्तन नहीं कर पाते हैं. ये भी एक वजह है कि लोगों में उत्साह नहीं दिख रहा है.
क्या फसल की कटाई की वजह से कम मतदान हुए?
गेहूं की फसल की कटाई और बुआई की वजह से क्या मतदान पर असर हुआ? अभी गेहूं की कटाई हो रही है, साथ ही साथ गेहूं के फसल को तैयार किया जा रहा है जिसकी वजह से किसान और मजदूर व्यस्त हैं और आखिरकार मतदान केन्द्र पर नहीं पहुंच सके जिसकी वजह से मतदान कम हुआ है.
क्या शादी ब्याह की वजह से मतदान पर असर हुआ?
बिहार में भी शादी ब्याह का मौसम है. जिनके घर में शादी है वो तैयारी में लगे हुए हैं जिसकी वजह से भी वोटिंग नहीं कर पाए. यही नहीं कई जगहों पर लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया है. जिसे टिकट नहीं मिला है उनकी नाराजगी है और साथ ही साथ उनके समर्थक निराश हैं, जिसकी वजह से लोग मतदान केन्द्र पर नहीं पहुंचे. इसके अलावा कई लोगों के वोटर लिस्ट में नाम नहीं हैं वहीं कई लोग मतदान केन्द्र पर पहुंचे. कुछ लोगों को पर्ची नहीं मिली तो किसी को शहरी क्षेत्र में बूथ तलाश करने में भी दिक्कत हुई है. कई सवाल हैं लेकिन आखिरी जवाब यही है कि 4 जून को ही पता चलेगा कि इन चार सीटों पर कम वोटिंग से एनडीए को नुकसान पहुंचेगा या इंडी गठबंधन को.
(लेखक लाइव टाइम्स में इनपुट एडिटर हैं)