SC Notice to Kerala: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर अटॉर्नी जनरल से एक ‘एक्स मुस्लिम’ महिला के मामले में कोर्ट की मदद करने को कहा है, जिसमें महिला ने धर्मनिरपेक्ष उत्तराधिकार कानून की मांग करते हुए याचिका दायर की है.
30 April, 2024
SC Notice to Kerala: केरल की साफिया पीएम खुद को एक्स मुस्लिम या गैर-आस्तिक कहती हैं. उन्होंने संपत्ति के उत्तराधिकार और विरासत से जुड़े मामलों में कानून बदलने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है. साफिया के पिता गैर-मुस्लिम थे और उन्होंने अपना धर्म भी नहीं बदला था. उनका कहना है कि उनकी याचिका उनके नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए उनकी लड़ाई है और वो इस लड़ाई को लड़ेंगी.
क्या कहता है शरिया कानून?
मुसलमानों पर मुस्लिम पर्सनल लॉ या शरीयत एप्लीकेशन एक्ट, 1937 लागू होता है. शरिया कानून के मुताबिक, अपना धर्म छोड़ने वाले को समुदाय से बाहर कर दिया जाता है. इसके बाद वो अपनी पैतृक संपत्ति का हकदार नहीं होगा. साफिया अपने पिता की इकलौती बेटी हैं और उनके इकलौते भाई को डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) है. उन्हें डर है कि उनके पिता और भाई की मृत्यु के बाद उनके भाई की संपत्ति का हिस्सा रिश्तेदारों को मिल जाएगा.
साफिया के वकील का वयान
इस मामले में साफिया के वकील प्रशांत पद्मनाथन का कहा कि अभी तक जो लोग मुस्लिम के रूप में पैदा हुए हैं, उनके सभी निजी मामलों में शरिया कानून लागू होता है. अगर कोई देश के धर्मनिरपेक्ष कानूनों से शासित होना चाहता है, खासकर संपत्ति की विरासत के मामले में, तो कोई कानून नहीं है. क्योंकि शरिया कानून आवेदन अधिनियम की धारा दो के तहत (1937 का एक्ट) अंतरराज्यीय उत्तराधिकार के लिए शरिया कानून लागू होता है. जो गोद लेने के मामले में, वसीयत और विरासत के मामले में शरिया कानून के दायरे में रहना चाहते हैं, वे धारा 3 के तहत घोषणा की मांग कर सकते हैं. लेकिन जो लोग शरिया कानून से शासित नहीं होना चाहते हैं, उनके लिए कोई प्रावधान नहीं है.
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