15 Feb 2024
चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया है। सिर्फ इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा पिछले 5 सालों के चंदे का हिसाब भी दिया जाए। अब EC को ये बताना अनिर्वाय होगा कि पिछले 5 साल में किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि वो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से पूरी जानकारी जुटाकर इसे अपनी वेबसाइट पर साझा करें।
‘सूचना के अधिकार का उल्लंघन सही नहीं’
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि काले धन पर रोक लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बांड के जरिए कॉरपोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए, क्योंकि कंपनियों की तरफ से किया गया दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से है।
SC के फैसले के बाद सियासत तेज
अब इस मामले को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। दरअसल, कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। कांग्रेस ने कहा कि ये फैसला नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ये उम्मीद भी जताई कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर भी ध्यान देगा कि चुनाव आयोग ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ के मुद्दे पर विपक्षी दलों से मिलने से लगातार इनकार कर रहा है।
‘चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को दिया बढ़ावा’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक और स्वागतयोग्य है। उन्होंने ये भी दावा किया कि चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया है। इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को सीधे फायदा पहुंचाया।