सीएए के आने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया आनी भी शुरू हो गई है। विपक्ष ने कहा कि CAA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम भेदभावपूर्ण है और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों और भावना के खिलाफ है।
12 March 2024
देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू हो गया है, जिसको लेकर सोमवार शाम को केंद्र सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। सीएए के लिए पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है। वहीं, सीएए के आने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया आनी भी शुरू हो गई है।
‘अधिनियम भेदभावपूर्ण’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि CAA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम भेदभावपूर्ण है और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों और भावना के खिलाफ है। चुनाव से ठीक पहले अधिसूचित सीएए नियम विभाजनकारी राजनीति का भाजपा का हताश प्रयास है।
‘चुनाव के पहले मोदी सरकार CAA लेकर आई’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरिवाल ने कहा कि 10 साल देश पर राज करने के बाद चुनाव के ठीक पहले मोदी सरकार CAA लेकर आई है। ऐसे वक़्त जब गरीब और मध्य वर्ग महंगाई से कराह रहा है और बेरोज़गार युवा रोज़गार के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है. उन असली मुद्दों का समाधान करने की बजाय ये लोग CAA लाए हैं। कह रहे हैं कि तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। कहने का मतलब ये पड़ोसी देशों के लोगों को भारत में लाकर बसाना चाहते हैं। क्यों? अपना वोट बैंक बनाने के लिए। जब हमारे युवाओं के पास रोज़गार नहीं है तो पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों को रोज़गार कौन देगा? उनके लिए घर कौन बनाएगा? क्या बीजेपी उनको रोज़गार देगी? क्या बीजेपी उनके लिए घर बनाएगी?
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‘हर नुस्खे की एक एक्सपायरी डेट होती है’
आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि सुबह सुप्रीम कोर्ट ने ElectoralBondScam पर SBI के साथ-2 विश्व की सबसे धनी और बड़ी पार्टी को खुलेआम एक्सपोज किया और शाम होते-होते ‘साहेब’ की हैडलाइन प्रबंधन टीम ने साढ़े चार साल पुराने CAA कानून के लिए नियमावली का स्वांग कर दिया। हर नुस्खे की एक एक्सपायरी डेट होती है ये सनद रहे ।
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‘संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया’
वहीं, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2019 को अधिसूचित कर दिया। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता मिल सकेगी। इस अधिसूचना के साथ पीएम नरेंद्र मोदी जी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है।