Home Election Varanasi Lok Sabha Seat 2024: क्या है ‘भगवान शिव की नगरी’ का राजनीतिक इतिहास, यहां पढ़ें सियासी समीकरण

Varanasi Lok Sabha Seat 2024: क्या है ‘भगवान शिव की नगरी’ का राजनीतिक इतिहास, यहां पढ़ें सियासी समीकरण

by Live Times
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Varanasi Lok Sabha Seat 2024

Varanasi Lok Sabha Seat 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से आज का दिन बेहद खास है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट में नामांकन किया. उनके साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और NDA गठबंधन के कई नेता मौजूद रहे.

Varanasi Lok Sabha Seat 2024: वाराणसी, उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर माना जाता है, जिसे बनारस और काशी भी कहा जाता है. इसके अलावा इसे मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, भगवान शिव की नगरी, दीपों का शहर, ज्ञान नगरी नाम जैसे तमाम नामों से भी पुकारा जाता है. इसे हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र नगरों में से एक माना जाता है. इसके अलावा बौद्ध और जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है. साथ ही हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा और विकसित हुआ है. लेकिन यह सीट तब ज्यादा खास हो जोती है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां से 14 मई को नामांकन करते हैं. साथ ही पीएम मोदी ने 2024 में तीसरी बार वाराणसी लोकसभा सीट से पर्चा भरा है.

क्या है ‘दीपों के शहर’ का इतिहास?

गंगा किनारे बने घाटों के लिए प्रसिद्ध इस नगर में काशी विश्वनाथ मंदिर भी अलग पहचान रखता है, जबकि हाल के कुछ वर्षों में यह नगरी देश की राजनीति में भी चर्चा का केंद्र रही लेकिन क्या आपको पता है कि इस सीट से पहला लोकसभा सांसद कौन था? दरअसल, बनारस और काशी नाम से मशहूर वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास काफी पुराना है. इस क्षेत्र का कनेक्शन कमलापति त्रिपाठी से लेकर राजनारायण से भी रहा है. जिसने भी यहां से चुनाव लड़ा वह हमेशा राजनीति के शिखर पर पहुंचा. वाराणसी सीट पर पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था और तब ठाकुर रघुनाथ सिंह ने जीत हासिल की थी. ठाकुर रघुनाथ सिंह स्वतंत्रता सेनानी और बड़े विद्वान थे. वो संस्कृत भाषा के भी बड़े जानकार थे.

1952 में हुआ वाराणसी लोकसभा सीट का गठन

वाराणसी लोकसभा क्षेत्र का गठन साल 1952 में हुआ था. तब ठाकुर रघुनाथ सिंह को वाराणसी से पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत मिली थी. साथ ही देश के इस पहले आम चुनाव में ठाकुर रघुनाथ ने यहां से करीब तीन लाख वोटों से जीत हासिल की थी और उन्होंने साल 1952, 1957 और 1962 के लोकसभा चुनावों में भी जीत का परचम लहराया. वाराणसी लोकसभा चुनाव में जब पहली बार साल 1952 में लोकसभा चुनाव हो रहे थे तब हिंदू संस्कृति के केंद्र बिंदु के रूप में देखे जाने वाले इस शहर को संसदीय क्षेत्र बनाने की घोषणा की गई थी पर उस वक्त यह काम नहीं हो सका.

यह भी पढ़ें: PM मोदी ने वाराणसी के कलेक्टर ऑफिस में किया नामांकन दाखिल, कई वरिष्ठ नेता भी रहे मौजूद

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