Lok Sabha Election 2024: बिहार के चार लोकसभा सीटों पर भी 19 अप्रैल को मतदान होगा. राज्य के चर्चित सीटों में यह सभी हैं. बिहार की चार सीटों पर सुबह सात बजे से मतदान शुरु हो जाएगा.
18 April, 2024
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहले चरण की वोटिंग शुक्रवार (19 अप्रैल 2024) से शुरु हो जाएगी. जिसमें बिहार के चार लोकसभा सीटों पर भी 19 अप्रैल को मतदान होगा. राज्य के चर्चित सीटों में यह सभी हैं. बिहार की चार सीटों पर सुबह सात बजे से मतदान शुरु हो जाएगा. औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई संसदीय सीट पर वोटिंग होगी. बता दें कि 19 अप्रैल को 21 राज्यों के 102 लोकसभा सीटों पर पहले फेस में चुनाव होगा. इन सीटों के बारे में कुछ खास बात हम आपको बताते हैं.
नवादा लोकसभा सीट का इतिहास
नवादा लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का ही दबदबा देखने के मिला है. 2019 के चुनाव में यहां से जन शक्ति पार्टी ने जीत हासिल की थी. नवादा लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास की अगर बात करें तो कांग्रेस और बीजेपी का यहां दबदबा है. 1952 से लेकर 1962 लगातार कांग्रेस को ही जीत मिली. इसके बाद 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी सूर्य प्रकाश पुरी मैदान में उतरे और कांग्रेस को हराकर जीत अपने नाम की. हालांकि 1971 में कांग्रेस ने फिर से वापसी कर ली. कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव प्रसाद वर्मा जीत अपने नाम की थी. इसके बाद 1977 में भारतीय लोक दल के नथुनी राम ने कांग्रेस को फिर हार का स्वाद चखाया, लेकिन 1980 में कांग्रेस ने फिर चुनाव जीत लिया. 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को ही जीत मिली. 1989 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना खाता खोला और जीत हासिल की. 1991 में भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को ही जीत मिली. साल 1996 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी को इस सीट से जीत मिली.
मतदाताओं की संख्या
नवादा में मतदाताओं की संख्या 22 लाख 67 हजार 604 है. इनमें पुरुष मतदाता की संख्या 1180395 और महिला मतदाता की संख्या 1087058 है. थर्ड जेंडर मतदाता कुल 151 हैं. इस बार नवादा में 45 फीसदी से अधिक युवा मतदाता है. 20 से 29 साल के युवा मतदाता की संख्या 345192 हैं तो 30 से 39 वर्ष के युवाओं की संख्या 25.35 प्रतिशत हैं. 26 जनवरी 1973 को मगध प्रमंडल के गया जिले से अलग होकर नवादा एक स्वतंत्र जिला बना था.
गया का चुनावी इतिहास
गया कभी तीन लोकसभा क्षेत्रों में विभाजित था. इस सीट पर अभी JDU काबिज है. JDU के उम्मीदवार विजय मांझी वर्तमान में गया के सांसद है. गया लोकसभा सीट महादलित बहुल सीट है. पहली बार 1952 में देश में चुनाव हुआ था. उस वक्त गया तीन लोकसभा क्षेत्रों में बंटा हुआ था. जिनका नाम गया पूर्व, गया उत्तर और गया पश्चिम था. साल 1957 में गया सीट पर स्वतंत्र रूप से लोकसभा चुनाव हुए थे. कांग्रेस उम्मीदवार बृजेश्वर प्रसाद चुनाव जीतकर यहां के पहले सांसद बने थे. साल 1962 में भी कांग्रेस का दबदबा इस सीट पर कायम रहा, लगातार तीन बार कांग्रेस इस सीट से जीतती रही. 1971 में कांग्रेस को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा. अखिल भारतीय जनसंघ को पहली बार इस सीट से जीत मिली थी. 1977 में भी यहां भारतीय लोक दल की जीत हुई.
क्या है जातीय समीकरण
गया लोकसभा सीट को महादलित बहुल सीट माना जाता है. महादलितों के अलावा यहां और भी जाती के लोग रहते हैं. इस लोकसभा में चंद्रवंशी , राजपूत , कायस्थय , भूमिहार , कोयरी , कुर्मी और यादव सहित कई जाति के लोग हैं. गया संसदीय क्षेत्र के तहत कुल 6 विधानसभा सीट हैं, जिसमें बाराचट्टी और बोधगया दोनों ही आरक्षित सीटें हैं.
जमुई राज्य के हॉट सीटों में शुमार
बिहार की जमुई लोकसभा सीट राज्य के हॉट सीटों में शुमार है. जमुई सीट वैसे तो अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. साल 1952 में यह सीट अस्तित्व में आया, लेकिन फिर 1957 में अस्तित्व में नहीं था. 1962 में यह फिर अस्तित्व में आया और 1971 के हुए लोकसभा चुनाव के बाद इसका अस्तित्व फिर खत्म हो गया. 1973 में अनुमति मिलने के बाद भी ये लोकसभा सीट अस्तित्व में नहीं आया था. 2008 में यह सीट दोबारा अस्तित्व में आया. 2009 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने यहां से जीत हासील की थी. जेडीयू के भूदेव चौधरी ने भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी. हालांकि इस सीट पर पिछले दो चुनावों से चिराग पासवान ही जितते आ रहे हैं. 2009 के चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर लड़ा था, लेकिन फिर दोनों अलग हो गए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू एनडीए से अलग हो गई और 2019 में दोबारा जेडीयू एनडीए के साथ आ गई.
जमुई मतदाताओं की संख्या
21 फरवरी, 1991 को जमुई जिला अस्तित्व में आया था. यह झारखंड की सीमा से सटा है. जो कि 3122.80 वर्ग किमी में फैली हुई है. इसकी आबादी 1760405 है. पुरुष की संख्या 916064 और महिलाओं की संख्या 844341 हैं. जमुई में दलित समुदाय के वोटर्स सबसे ज्यादा हैं. वहीं, इसके अलावा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी काफी है. ओबीसी और सामान्य जाति के मतदाता भी यहां मौजूद हैं. जमुई में पुरुष वोटरों की संख्या 807074 है. महिला मतदाताओं की संख्या 911705 है तो थर्ड जेंडर मतदाता 35 हैं. वहीं. 2019 में कुल वोटरों की संख्या 949137 थी.
औरंगाबाद सीट की खास बातें
औरंगाबाद लोकसभा सीट को राजपूतों की गढ़ माना जाता है. अभी भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार सिंह यहां से सांसद हैं. कांग्रेस ने यहां से लगातार सात बार चुनाव जीता है. औरंगाबाद के पहले सांसद सत्येंद्र नारायण सिंह थे. औरंगाबाद जिले की स्थापना साल 1972 में की गई थी, और यह पूर्वी चंपारण और गया जिलों से बनाया गया था. औरंगाबाद जिला बिहार के परंपरागत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है और यहां कई पुरातात्विक स्थल और मंदिर स्थित हैं. इस सीट के इतिहास की अगर बात करें तो 1950 में सत्येंद्र नारायण सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था और जीत हासील की थी. सत्येंद्र नारायण सिंह ने 1952, 1957, 1971, 1977, 1980 और 1984 तक लगातार चुनाव जितते रहें. सत्येंद्र नारायण सिंह 1989 में बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे थे.
औरंगाबाद सीट की जातीय समीकरण
औरंगाबाद के जातीय समीकरण में सबसे ज्यादा वोटर राजपूत जाति से हैं. राजपूत वोटर्स की संख्या यहां दो लाख के आसपास है. यादवों की संख्या लगभग 1.90 लाख, मुस्लिम की संख्या लगभग 1.25 लाख, कुशवाहा की संख्या भी लगभग 1.25 लाख,भूमिहार मत लगभग एक लाख, दलित और महादलित की संख्या 2 लाख है. 1952 से लेकर अब तक केवल राजपूत जाति के नेता ही यहां से सांसद बने हैं. औरंगाबाद की कुल आबादी लगभग 2540073 है, जिसमें पुरुष 1318684 वोटर्स और महिला वोटर्स 1221389 हैं.
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