Home Election अपने नेताओं पर केजरीवाल को विश्वास क्यों नहीं? स्वाति मालीवाल और मुख्यमंत्री के रिश्तों में कैसे आई दरार

अपने नेताओं पर केजरीवाल को विश्वास क्यों नहीं? स्वाति मालीवाल और मुख्यमंत्री के रिश्तों में कैसे आई दरार

by Live Times
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Swati Maliwal Case

Swati Maliwal Case: आम आदमी पार्टी का विवाद जन्म से शुरू हो गया था. लेकिन इतना बड़ा विवाद कभी नहीं हुआ था कि अपने ही महिला नेता की पिटाई आंदोलनकारी सीएम केजरीवाल के आंगन में ही हो गई हो.

19 May, 2024

धर्मेंद्र कुमार सिंह, लाइव टाइम्स : राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से सीएम आवास में हुई मारपीट के मामले में अब लड़ाई अरविंद केजरीवाल बनाम स्वाति मालीवाल होती जा रही है. स्वाति मालीवाल और अरविंद केजरीवाल एक दूसरे को 20 सालों से जानते हैं.पहले दोनों एक ही एनजीओ में काम कर चुके हैं. फिर जब केजरीवाल की एंट्री राजनीति में हुई तो स्वाति मालीवाल भी केजरीवाल की टीम का अहम हिस्सा बन गईं. केजरीवाल स्वाति मालीवाल पर इतना मेहरबान हो गये कि पहले उन्हें दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया फिर राज्यसभा भी पहुंचा दिया. लेकिन अचानक ऐसा क्या हो गया कि जब केजरीवाल शराब घोटाले में जेल गये तो स्वाति मालीवाल और केजरीवाल के बीच अविश्वास का पौधा पनपने लगा?

स्वाति मालीवाल पर उठाया जा रहा सवाल

सीएम आवास पर मारपीट के मामले स्वाति मालीवाल ने जब से केजरीवाल के पीए और राजनीतिक सलाहकार बिभव कुमार के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराया, उसके बाद से अरविंद केजरीवाल की टीम ने स्वाति मालीवाल को BJP का एजेंट बताने में लगी हुई है. आम आदमी पार्टी नेता आतिशी ने शनिवार को दावा किया कि उनकी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल अवैध भर्ती मामले में गिरफ्तारी का सामना कर रही हैं और उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने ‘ब्लैकमेल’ कर मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ साजिश का हिस्सा बनाया. शुक्रवार से ही स्वाति मालीवाल पर सवाल उठाया जा रहा है और ये कोशिश की जा रही है कि स्वाति मालीवाल ने जो किया है वो BJP के इशारे पर कर रही हैं.

AAP का दावा उनके साथ कोई मारपीट नहीं हुई

यही नहीं मारपीट के मामले में पहले शुक्रवार को एक वीडियो जारी किया और ये दिखाया गया कि स्वाति मालीवाल बिभव कुमार के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रही हैं. शनिवार को एक वीडियो फिर जारी किया जिसमें स्वाति मालीवाल सीएम आवास से निकल रहीं हैं और पुलिस उनको बाहर निकाल रही हैं. आम आदमी का दावा है कि स्वाति मालीवाल के साथ कोई मारपीट नहीं हुई है,कहीं चोट का निशान नहीं है, चलने में भी कोई दिक्कत नहीं है. वहीं स्वाति मालीवाल की मेडिकल रिपोर्ट में दो जगह चोट के निशान मिले हैं. अब सच क्या है और झूठ क्या है ये जांच से ही पता चलेगा.

स्वाति मालीवाल ने पार्टी को दिया जवाब

जब स्वाति मालीवाल पर आम आदमी की तरफ से निशाना बनाया जा रहा है तो स्वाति मालीवाल ने कहा कि “पार्टी में कल के आए नेताओं से 20 साल पुरानी कार्यकर्ता को BJP का एजेंट बता दिया. दो दिन पहले पार्टी ने प्रेस कांफ्रेस में में सब सच कबूल लिया था और आज यू टर्न ले लिया है. ये गुंडा पार्टी को धमका रहा है, मैं अरेस्ट हुआ तो सारे राज खोल दूंगा, इसीलिए ही लखनऊ से लेकर हर जगह शरण में घूम रहा है.“

आरपार की लड़ाई हो गई शुरू

दरअसल संजय सिंह ने दावा किया था कि बिभव कुमार के खिलाफ कार्रवाई होगी. लेकिन कार्रवाई की बात तो दूर बिभव कुमार अरविंद केजरीवाल के साथ लखनऊ में देखे गये. वहां संजय सिंह भी मौजूद थे. इसी के बाद स्वाति मालीवाल का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया और पुलिस में बिभव कुमार के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करवाने का मन बना लिया. जबकि दिल्ली पुलिस तीन दिनों से मालीवाल की लिखित शिकायत के लिए इंतजार कर रही थी. स्वाति मालीवाल की शिकायत के बाद केजरीवाल टीम और स्वाति मालीवाल के बीच आरपार की लड़ाई शुरू हो गई है. अब केजरीवाल की टीम की यही कोशिश हैं चुनाव के बीच स्वाति मालीवाल को ये साबित कर दो कि वो जो कर रही है वो BJP के इशारे पर कर रही हैं.

अन्ना हजारे की उम्मीदों पर फेर दिया पानी

दरअसल केजरीवाल की राजनीति यही है, जो उनकी बात नहीं माने और वो किसी के खिलाफ हो जाए, तो सारे नेता उनको विरोधी साबित करने में लग जाते हैं. पूरी टीम ही केजरीवाल के साथ राजनीतिक मैदान संभाल लेते हैं. जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ तो केजरीवाल और अन्ना हजारे से बहुत उम्मीद थी. लेकिन केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक स्क्रिप्ट के जरिए अन्ना आंदोलन को राजनीतिक पार्टी आम आदमी पार्टी में तब्दील कर दिया. राजनीतिक पार्टी बनने के साथ ही सबसे पहले अन्ना हजारे ने किनारा कर लिया. लेकिन ये सिलसिला थमा नहीं. जिन नेताओं को आम आदमी पार्टी और केजरीवाल से उम्मीद थीं कि वो देश की राजनीति बदल देंगे और देश में एक लोकतांत्रिक पार्टी होगी, लेकिन उनलोगों को निराशा ही हाथ लगी.

दिग्गज पार्टी को छोड़ते चले गये

केजरीवाल के पार्टी चलाने के ढंग और रवैये को लेकर विरोध के सुर लगातार उभरते रहते हैं. सबसे बड़ी वजह यह थी कि केजरीवाल संयोजक बने रहने के लिए पार्टी का संविधान तक बदल डाला. नतीजा हुआ कि एक एक दिग्गज पार्टी को छोड़ते चले गये जिसमें योगेन्द्र यादव, किरण बेदी, प्रशांत किशोर, शाजिया इल्मी, आशुतोष, कुमार विश्वास, आनंद कुमार , मयंक गांधी, एडमिरल रामदास, आशीष खेतान, मधु भादुरी समेत कई दिग्गज थे.

AAP भी अब देश की अन्य पार्टियों की तरह हो गई

दरअसल केजरीवाल के जेल जाने के बाद जिस तरह से उनकी पत्नी का उभार राजनीति में शुरू हुआ, इससे पार्टी के अंदर और बाहर चर्चा होने लगी कहीं न कहीं केजरीवाल भी परिवारवादी राजनीति के चंगुल में फंसने लगे हैं. पार्टी के अंदर भी असहजता भी महसूस होने लगी कि कद्दावर नेताओं को पीछे छोड़कर पत्नी को आगे कर दिया है. एक बार तो ये चर्चा जोरों से होने लगी कि सुनीता केजरीवाल मुख्यमंत्री बन सकती है. दूसरी तरफ इंडिया अगेंस्ट करप्शन से निकले केजरीवाल खुद भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो गये. शराब घोटाले में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व गिरफ्तार हैं. तीसरी बात है कि केजरीवाल ने पार्टी पर एकाधिकार स्थापित कर लिया है। वो मुख्यमंत्री भी हैं और पार्टी के जन्म के साथ ही मुखिया बने हुए हैं। जिस आंदोलन के जरिए आम आदमी पार्टी को अलग करने की कोशिश की गई थी, वो अब देश की अन्य पार्टियों की तरह हो गई है।

लेखक धर्मेंद्र कुमार सिंह लाइव टाइम्स के इनपुट एडिटर हैं

यह भी पढ़ें : Swati Maliwal Assault Case : अरविंद केजरीवाल का एलान, सभी नेताओं के साथ BJP मुख्यालय जाऊंगा, कर लो गिरफ्तार

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