Bareilly Surma Market : उत्तर प्रदेश का बरेली जिला कई चीजों के लिए मशहूर है. सुरमा भी उन तमाम चीजों में से एक है. जो बरेली की पहचान माना जाता है. देश- दुनिया में मशहूर इस सुरमे का जिक्र अब बॉलीवुड में भी होता है.
15 April, 2024
बॉलीवुड में हुआ सुरमे का जिक्र
Bareilly Surma Market : उत्तर प्रदेश का बरेली जिला वैसे तो कई चिजों के लिए मशहूर है. जैसे झुमका और सुरमा, हालांकि बरेली को बांस बरेली भी कहा जाता है. क्योकि यहां बांस का व्यापार भी होता है. इसके साथ ही जिले में कई टूरिस्ट प्लेस भी हैं. लेकिन बरेली में सबसे मशहूर है सुरमा. दरसअल, सुरमे का इस्तेमाल आंखों में लगाने के लिए किया जाता है. बरेली के सुरमे का जिक्र फिल्मी गानों में भी खूब हुआ है.
कैसे मशहूर हुआ बरेली का सुरमा ?
बरेली में इसकी शुरुआत हाशमी परिवार ने की थी और वे अब तक इस काम को कर रहे हैं. हसीम हाशमी परिवार की सातवीं पीढ़ी अब इस काम को कर रही है और सुरमा को 100 फीसदी हाथ से ही तैयार किया जाता है. बरेली में सुरमा उद्योग को आज शहर के मुट्ठी भर व्यापारी आगे बढ़ा रहे हैं, जो पीढ़ियों से इस कारोबार को कर रहे हैं. छठी पीढ़ी के व्यापारी चांद हाशमी सुरमा उद्योग को छोटे पैमाने का उद्योग बताते हैं. उनका कहना है कि इससे ज्यादा कारीगरों को रोजगार नहीं मिलता है.
सुरमा लगाने के फायदे
बरेली के सुरमे की जड़ें मिस्र् से जुड़ी हुई हैं. इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक के अलावा आंखों की दवाई के लिए भी किया जाता है. साथ ही बरेली के व्यापारी भी बताते हैं कि यह पूरी तरह मशीन मेड नहीं होता है और हाथ से बने होने की वजह से सुरमें से कई तरह की आखों की बीमारियों से नीजात मिलती है. इसके साथ ही कई हकीम और वैद्य भी सुरमें के कई फायदे बताते हैं. इसका प्रयोग आंखें की सुंदरता के लिए करते हैं. सुरमा बनाने के लिए कोहिनूर यानि काला पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है. सुरमा में एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. यह आंखों की पुतलियों को तेज करता है और आंखों की थकान दूर करता है.
‘सुरमा व्यापारी अदील हाशमी का बयान’
दरसअल, सातवीं पीढ़ी के सुरमा व्यापारी अदील हाशमी ने कहा कि सुरमा, इंसान की सबसे बड़ी दौलत है और सुरमे का जो दौर चला आ रहा है, वो चलाता ही रहेगा. और यह भी बताया जाता है आज से तीस सौ, साढ़े तीन सौ साल पहले, जब हकीम मोहम्मद हाशिम साहब पंजाब से आए थे. उस टाइम से सुरमा लगाना सुन्नत भी माना जाता है. छठी पीढ़ी के सुरमा व्यापारी चांद हाशमी ने यह भी बताया कि ये कारोबार इतना बड़ा नहीं है कि इसमें कोई लंबी-चौड़ी लेबर काम नहीं करती. इसीलिए सरकार ने सुरमे पर भी टैक्स माफ कर दिया है.\
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