राजधानी भोपाल के सटे केद्रीय कृषि एंव पंचायत ग्रामीण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के जिले सीहोर में गर्मी की शुरुआत होते ही पेयजल संकट गहराने लगा है.
Bhopal: राजधानी भोपाल के सटे केद्रीय कृषि एंव पंचायत ग्रामीण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के जिले सीहोर में गर्मी की शुरुआत होते ही पेयजल संकट गहराने लगा है. कुछ दिन पहले ही ग्राम बिशनखेड़ी का एक ग्रामीण अजगर के भेष में राजधानी भोपाल स्थित कमिश्रर कार्यालय पहुंचा था तो अब खामलिया गांव से भयावह तस्वीर सामने आई है.
तीन हजार की आबादी वाले खामलिया के ग्रामीण अपने घरों में ताला डाल गांव से पलायन करने को विवश हैं. लाइव टाइम्स संवाददाता ने गांव पहुंचकर पेयजल संकट की पड़ताल की. ग्रामीणों का कहना था कि प्रतिवर्ष गर्मी के दिनों में पेयजल संकट के हालात पैदा होते हैं. जलसंकट से निजात पाने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव, पीएचई मंत्री से गुहार लगा चुके, आवेदन भी दिए, लेकिन गांव में जलसंकट की समस्या से निजात नहीं मिल सकी.

ग्रामीण करीब तीन किलोमीटर दूर से पानी लाने के लिए मजबूर
ग्रामीणों ने बताया कि अब तक गांव से 50-60 परिवार पलायन कर चुके हैं. धीरे-धीरे शेष परिवार भी पलायन के लिए मजबूर होंगे. ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल के अभाव में मवेशी प्यास से तड़प रहे हैं तो पेड़ पौधे भी सूख रहे हैं. ग्रामीण बैलगाड़ी या फिर पैदल ही दो से तीन किलोमीटर दूर से पानी लाने के लिए मजबूर हैं. लाइव टाइम्स की पड़ताल के दौरान हालात चौंकाने वाले नजर आए. गांव में करीब 50 से 60 घर ऐसे मिले, जहां ताले लगे हुए थे.

आसपास पूछने पर पता चला कि जलसंकट की वजह से यहां से चले गए. गांव के पटेल मुकेश मेवाड़ा, सुजान सिंह मेवाड़ा, रमेश मेवाड़ा, साजन सिंह मेवाड़ा ने बताया कि गांव में गर्मी के दिनों में हर साल ही जलसंकट के हालात बनते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में टंकी है, लेकिन पानी नहीं. ग्रामीण गर्मी के ढाई महीने से यहां से चले जाते हैं और बारिश शुरू होते ही वापस गांव आ जाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि धीरे-धीरे ग्रामीण यहां से पलायन कर अपने रिश्तेदारों के यहां जा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सरकार द्वारा गंगा संवर्धन योजना चलाई जा रही है, लेकिन हमारे गांव खामलिया में ऐसा कुछ नहीं है.

चार महीने ही साथ निभाती है नल जल योजना
वृद्ध महीला नर्मदा बाई बताती हैं कि गांव में 4 साल पहले नल योजना लागू की गई थी. योजना के तहत एक लाख लीटर की टंकी बनाई गई और 3 बोर खनन कर कनेक्शन बांटे गए. लेकिन यह नल जल योजना महज 4 महीने जुलाई से अक्टूबर तक ही ग्रामीणों का साथ निभा पाती है. जैसे ही बारिश थमती है वैसे ही नलों से पानी आना भी बंद हो जाता है.
पढ़ाई से ज्यादा पानी पर फोकस
छात्रा निकिता का कहना था कि गांव के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई से ज्यादा पानी पर फोकस करना पड़ता है. स्कूल-कॉलेज जाने से पहले भी घर के लिए पानी भरना पड़ता है और आने के बाद भी. नेहा प्रजापति कहती हैं कि गर्मी के दिनों में डर लगता है कि घर में कोई मेहमान न आए. उन्होंने बताया कि चुनावों के समय जनप्रतिनिधि गांव में पानी के स्थाई समाधान की बात करते हैं, लेकिन चुनाव निकलते ही वादे सब हवा हो जाते हैं.

प्रभारी मंत्री बोलीं- कलेक्टर को दिए निर्देश
ग्राम खामलिया में जलसंकट व पलायन को लेकर प्रभारी मंत्री ने कलेक्टर को निर्देशित किया है. कहा कि जिले के किसी भी गांव में जलसंकट के हालात न बनें. ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के पूरे इंतजाम हो. सीएम डॉ.मोहन यादव भी जलसंकट को लेकर काफी गंभीर हैं. वहीं मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग से बातचीत की गई. सीहोर जिले के खामलिया गांव में जलसंकट को लेकर एक दर्जन से अधिक लोगों ने पलायन कर लिया. इसको लेकर बातचीत की तो कहा कि मुख्यमंत्री जी का स्पष्ट निर्देश है हर स्थान पर जहां पानी की समस्याएं हैं, वहां इंतजाम किए जाएं.स्थानीय प्रशासन को भी पेयजल का इंतजाम करना चाहिए.
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- भोपाल से नितिन ठाकुर की रिपोर्ट