Umesh Jadhav Postal Stamp Collection: उमेश जाधव का डाक टिकट के कलेक्शन का शौक बचपन से ही है और ऐसा करना उनके लिए जुनून की तरह है. सरकारी नौकरी में बतौर अधिकारी रिटायर हो चुके उमेश जाधव डाक टिकटों की तलाश में रहते हैं.
12 April, 2024
Umesh Jadhav Postal Stamp Collection: मुंबई में कांदिवली के रहने वाले पैंसठ साल के उमेश जाधव करीब पचास सालों से डाक टिकट, पिक्चर पोस्ट कार्ड समेत कई अनूठी चीजें जमा कर रहे हैं. उमेश जाधव जब पंद्रह साल के थे, तभी उन्होंने डाक टिकट जमा करना शुरू किया. केंद्र सरकार की नौकरी से बतौर अफसर रिटायर हो चुके उमेश जाधव का ये शौक आज भी जिंदा है और वह लगातार डाक टिकट जुटाते रहते हैं. उनके कलेक्शन में करीब चार लाख डाक टिकट और 80 हजार पिक्चर पोस्ट कार्ड समेत कई नायाब चीजें शामिल हैं. अपने अनूठे कलेक्शन की जाधव कई जगह एग्जिबिशन लगाकर अनेक मेडल जीत चुके हैं.
10वीं में ही जुटा लिए थे 3,000 स्टैम्प्स
यहां पर बता दें कि उमेश जाधव का शौक उनके लिए जुनून की तरह है. अपने कलेक्शन को बढ़ने के लिए वो आज भी नए डाक टिकटों की तलाश में रहते हैं. वहीं, उमेश जाधव का कहना है कि 10वीं कक्षा में था, तभी मेरे पास 3,000 स्टैम्प्स थे. इसके बाद मैं सिद्धार्थ कॉलेज में आया तो वहां स्टैम्प डीलर्स रहते थे. इसके बाद स्टैम्प डीलर्स से मैं स्टैम्प्स खऱीदता था. वर्ष 1979 में मेरी केंद्र सरकार के अंतर्गत सरकारी नौकरी लग गई. इसके बाद स्टैम्प खरीदने पर मेरा खर्च बढ़ गया.
बढ़ती कीमत देख आया मन में ख्याल
उनका कहना है कि डाक टिकट समितियों में शामिल होने के बाद मुझे टिकटों की अहमियत का पता चला. मुझे कैटलॉग मिले. हर टिकट की कीमत 5000, 500 और यहां तक कि 10,000 रुपये थी. मैं काफी उत्साहित हो गया. टिकटों की कीमत काफी है. मैंने जमकर डाक टिकट जमा करना शुरू कर दिया.
12 मेडल जीत चुके हैं उमेश जाधव
उमेश का कहना है कि मैंने फर्स्ट एग्जिबिट 1994 में लगाया था. टाइटल ‘एटलस बुक ऑफ मैप्स’. फर्स्ट सेट अप में मुझे नेहरू सेंटर में ब्रॉन्ज मेडल मिला तब से मैं पूरे देश में एग्जिबिशन में हिस्सा ले रहा हूं. अब तक मैं 12 मेडल जीत चुका हूं और इनमें सात ब्रॉन्ज मेडल हैं, चार सिल्वर मेडल हैं और एक गोल्ड मेडल है.
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