8 March 2024
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (7 मार्च 2024) को एक महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि पाकिस्तान की आजादी पर बधाई देना और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाले मामले की आलोचना करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। इस मुद्दे पर एक प्रोफेसर ने अपने व्हाटसप्प स्टेट्स लगा दिया था, जिसके बाद उन पर अपरााधिक मामला दर्ज कर लिया गया, इसे अब शीर्ष अदालत ने रद्द कर दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की चर्चा चारों ओर हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने किया मामला रद्द
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस को हमारे संविधान में दिए गए लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर संवेदनशील होना चाहिए। दरअसल, यह मामला महाराष्ट्र के एक प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम का है। उनके ऊपर आरोप था कि उन्होंने अपने व्हाटसप्प स्टेट्स पर पाकिस्तान की स्वतंत्रता की बधाई और आर्टिकल 370 की आलोचना करने पर एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। लेकिन अब शीर्ष अदालत ने मामले पर सुनवाई करते हुए इसके रद्द कर दिया है, बता दें कि प्रोफेसर ने आर्टिकल 370 को निरस्तीकरण को ब्लैक डे बताया था।
संविधान देता है असहमति का अधिकार
प्रोफेसर साहब पर आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन बेंच ने कहा कि आर्टिकल 19 (ए) के तहत हमकों अभिव्यक्ति की आजादी के तहत असहमति का अधिकार देता है। इसके साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे से असहमत होने का अधिकार देता है और इसको समाज में स्वाकार्य होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि, लोकतंत्र में एक व्यक्ति को सरकार के फैसले का शांतिपूर्वक तरीके से विरोध करने का अधिकार है।