Sambhal Masjid Survey Violence: सरकार ने पत्थरबाजों और उपद्रवियों के पोस्टर को सार्वजनिक स्थानों और चौराहों पर पोस्टर लगाने का आदेश दे दिया है.
Sambhal Masjid Survey Violence: उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर भड़की हिंसा को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार बेहद सख्त है.
सर्वे के दौरान सर्वे का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प और 4 लोगों की मौत के मामले में सात FIR दर्ज की गई है और 100 से ज्यादा आरोपियों की पहचान कर ली गई.
अब उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल के पत्थरबाजों और उपद्रवियों के पोस्टर को सार्वजनिक स्थानों और चौराहों पर पोस्टर लगाने का आदेश दे दिया है. साथ ही सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान की भरपाई भी सरकार पत्थरबाजों और उपद्रवियों से ही करेगी.
जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा
दरअसल, रविवार को उत्तर प्रदेश के संभल के मोहल्ला कोट स्थित में मुगलकालीन जामा मस्जिद का दूसरा सर्वे किया जा रहा था. इसी दौरान वजूखाने से पानी निकाला जाने लगा.
इससे मस्जिद के बाहर भारी संख्या में मौजूद लोगों को लगा कि मस्जिद में खोदाई की जा रही है. ऐसे में मस्जिद के चारों ओर भीड़ उग्र हो गई और पत्थरबाजी होने लगी.
पुलिस के मुताबिक इस दौरान अज्ञात लोगों ने फायर भी झोंक दिया, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई. पत्थरबाजों और उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया.
पत्थरबाजों और उपद्रवियों सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया. कई जगहों पर तोड़-फोड़ और आगजनी भी की गई. अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कड़ा कदम उठाया है.
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मोबाइल, CCTV और ड्रोन कैमरे से हुई पहचान
हिंसा और भारी नुकसान के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहचाने गए अपराधियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों और चौराहों पर लगाने का आदेश बुधवार को जारी कर दिया है.
इससे पत्थरबाजों और उपद्रवियों की पहचान की जा सकेगी और समाज में इन्हें अपराधी के रूप में पहचाना जा सकेगा. साथ ही इन अपराधियों से ही सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई की भी योजना बनाई गई है.
बता दें कि इसके लिए सरकार ने पहले ही अध्यादेश जारी किया था. इन सभी के अलावा राज्य सरकार ने इस बात का भी संकेत दिया है कि वह पहचाने गए आरोपियों के खिलाफ इनाम की घोषणा भी कर सकती है.
बता दें कि पुलिस ने अभी तक मोबाइल, CCTV और ड्रोन कैमरे के जरिए सौ से ज्यादा पत्थरबाजों और उपद्रवियों की पहचान कर चुकी है.
गौरतलब है कि साल 2020 में CAA के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई इलाकों में इसी तरह के प्रदर्शन देखने को मिला था. प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाए थे. यह पोस्टर राज्य की राजधानी सहित कई स्थानों पर लगाए गए थे, लेकिन बाद में अदालत के आदेश के बाद हटा दिए गए थे.
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