Introduction Of UP Bypoll Election 2024
उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव (Bypoll Election 2024) होने वाले हैं. उपचुनाव को लेकर सभी दलों के बीच सियासी हलचल तेज है. BJP यानी भारतीय जनता पार्टी. समाजवादी पार्टी और BSP यानी बहुजन समाज पार्टी जैसे दल सियासी समीकरण को साधने के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं. इन दलों के नेता भी जमकर चुनाव प्रचार अभियान को धार दे रहें हैं. इसमें (Bypoll Election 2024) खैर (अलीगढ़), गाजियाबाद (सदर), करहल (मैनपुरी), कुंदरकी (मुरादाबाद), कटेहरी (अंबेडकर नगर), सीसामऊ (कानपुर शहर), फूलपुर (प्रयागराज), मझवां (मिर्जापुर) और मीरापुर (मुजफ्फरनगर ) विधानसभा सीट पर उपचुनाव (Bypoll Election 2024) होने वाले हैं. ऐसे में इस लेख के जरिए आपको बताएंगे कि क्या है इन सभी 9 सीटों का इतिहास और क्या हैं चुनावी समीकरण.
Table Of Content
- खैर (अलीगढ़)
- गाजियाबाद (सदर)
- करहल (मैनपुरी)
- कुंदरकी (मुरादाबाद)
- कटेहरी (अंबेडकर नगर)
- सीसामऊ (कानपुर शहर)
- फूलपुर (प्रयागराज)
- मझवां (मिर्जापुर)
- मीरापुर (मुजफ्फरनगर )
खैर (अलीगढ़)
खैर सीट (Bypoll Election 2024) से लगातार दो बार से BJP विधायक और योगी सरकार में मंत्री रहे अनूप वाल्मीकि प्रधान के हाथरस से सांसद बनने के कारण यह सीट खाली हो गई है. जाट लैंड कहे जाने वाले अलीगढ़ की खैर सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. इस सीट पर अभी तक समाजवादी पार्टी का खाता नहीं खुला है. इस सीट पर कुल पांच प्रत्याशियों (Bypoll Election 2024) ने नामांकन किया है. इसमें BJP ने पूर्व सांसद स्वर्गीय राजवीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर और समाजवादी पार्टी ने BSP और कांग्रेस की पूर्व नेता चारू कैन को प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा BSP से पहल सिंह और आजाद समाज पार्टी से नितिन कुमार चोटेल भी चुनावी मैदान में हैं. खैर की चुनावी लड़ाई को समझने के लिए इस सीट (Bypoll Election 2024) का जातीय समीकरण समझना भी बेहद जरूरी है. इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या करीब 4 लाख है. इसमें से जाट वोटर्स की संख्या सवा लाख के आसपास है. ऐसे में इस सीट (Bypoll Election 2024) पर जाट वोटर्स की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है. जाट वोटर्स ही इस सीट पर प्रत्याशी का भविष्य तय करते हैं. इसके अलावा लगभग 90 हजार ब्राह्मण मतदाता, लगभग 50 हजार दलित वोटर्स, 40 हजार मुस्लिम मतदाता, 25 हजार वैश्य मतदाता भी शामिल हैं. इसके अलावा कुछ अन्य जातियां भी इसमें शामिल हैं. वोटर्स के बाद इस सीट का सियासी इतिहास भी अपने आप में अहम है. साल 1962 के बाद से 1967, 1974 और 1980 में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की. इसके बाद यह सीट 1985 में लोकदल और 1989 में जनता दल के खाते में गई. साल 1991 के चुनाव में रामलहर के दौरान BJP का पहली बार यहां से खाता खुला. साल 1993 में सीट जनता दल के फिर से पास चली गई. वहीं, साल 1996 में चौधरी चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती ने यह सीट फिर से BJP के झोली में डाल दी. 2002 में जाटों की जीत का ट्रेंड मायावती की पार्टी BSP ने तोड़ दिया. BSP प्रत्याशी प्रमोद गौड़ की जीत ने सभी को हैरान कर दिया. साल 2007 के चुनाव में RLD ने पहली बार कमाल दिखाया और जीत दर्ज की. इसके बाद साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद के बाद इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया. हालांकि, इसके बाद भी 2012 में RLD की जीत हुई. 2017 के चुनाव में 23 साल बाद अनूप वाल्मीकि प्रधान ने इस सीट पर फिर से कमल खिला दिया. इसके बाद 2022 में उन्होंने जीत का सिलसिला जारी रखा. वहीं, 32 साल के इतिहास समाजवादी पार्टी कभी फाइट में रही ही नहीं. इस सीट पर BJP, BSP और समाजवादी पार्टी में त्रिकोणीय मुकाबला (Bypoll Election 2024) देखने को मिल सकता है.
गाजियाबाद (सदर)
गाजियाबाद शहर विधानसभा (Bypoll Election 2024) सीट यानी सदर से BJP के दो बार विधायक चुने गए अतुल गर्ग के गाजियाबाद लोकसभा से सांसद बनने के बाद यह सीट (Bypoll Election 2024) खाली हो गई. BJP ने संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने सिंहराज जाटव को पार्टी का टिकट दिया है. BSP से परमानंद गर्ग और आजाद समाज पार्टी से सत्यपाल चौधरी भी चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 4.63 लाख के करीब है. इसमें प्रमुख रूप से अनुसूचित वर्ग, मुस्लिम वर्ग, ब्राह्मण वर्ग, वैश्य वर्ग के वोटर्स की संख्या कहीं ज्यादा अहम है. दलित वोटर्स की संख्या इस सीट पर करीब 75 हजार है. वहीं, इतनी ही संख्या में मुस्लिम वोटर्स भी हैं. सीट पर 50 हजार से अधिक ब्राह्मण वोटर्स भी शामिल हैं. वैश्य मतदाताओं की संख्या भी करीब 35 हजार के आसपास है. इसके अलावा 25 हजार ठाकुर, 12 हजार पंजाबी और 11 हजार यादव वोटर्स भी चुनाव (Bypoll Election 2024) में अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस सीट पर अब हुए चुनाव में BJP को 6 बार जीत मिली है. वहीं, कांग्रेस ने भी कुल 6 बार अपना परचम लहराया है. एक-एक बार यह सीट SP और BSP के खाते में भी गई है. बता दें कि इस सीट पर 1957 और 1962 में कांग्रेस के तेजा सिंह ने पहली बार चुनाव जीता था. वहीं, 1967, 1969 और 1974 के चुनाव में अलग-अलग पार्टियों से प्यारेलाल शर्मा ने अपनी जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1977 से लेकर 1996 तक BJP के बालेश्वर त्यागी ने अपना परचम लहराया. इसके बाद 2002 में कांग्रेस से सुरेन्द्र प्रकाश गोयल, 2004 में समाजवादी पार्टी से सुरेन्द्र कुमार मुन्नी, 2007 में BJP से सुनील कुमार शर्मा, 2012 में BSP से सुरेश बंसल ने इस सीट पर जीत दर्ज की है. साल 2017 और 2022 के चुनाव में BJP के अतुल गर्ग ने लगातार दो बार पार्टी को जीत दिलाई. ऐसे में चुनावी गणित के हिसाब से गाजियाबाद सदर सीट (Bypoll Election 2024) BJP के लिए पूरी तरह से सुरक्षित मानी जाती है.
करहल (मैनपुरी)
करहल सीट (Bypoll Election 2024) की बात की जाए तो सबसे पहले समाजवादी पार्टी का नाम सामने आता है. हालांकि, इस सीट से अखिलेश यादव ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव (Bypoll Election 2024) में जीत दर्ज की थी. उसके आजमगढ़ से लोकसभा सांसद चुने के जाने के बाद यह सीट खाली हो गई है. इस सीट पर BJP ने अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को टिकट दिया है. BSP से अवनीश कुमार शाक्य भी चुनावी मैदान में है. ‘यादव बनाम यादव’ (Bypoll Election 2024) के कारण यह सीट हॉट सीट बन गई है. करहल विधानसभा में लगभग 3 लाख 75 हजार मतदाता हैं. जिसमें से एक लाख 30 हजार यादव वोटर्स हैं. वहीं, 50 हजार शाक्य, 30 हजार पाल/बघेल, 30 हजार ठाकुर, 25 हजार मुस्लिम, 20 हजार ब्राह्मण, 20 हजार लोधी और 15 हजार के आसपास बनिया समुदाय के वोटर्स हैं. वहीं, लगभग 60 हजार अनुसूचित जाति के भी मतदाता हैं. इस सीट पर साल 1993 से 2022 तक हुए सात विधानसभा चुनावों में से कुल 6 बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. इस बीच सिर्फ एक बार साल 2022 में एक बार ही BJP इस सीट पर जीत दर्ज कर पाई है, जब उसने सोबरन सिंह यादव यानी यादव प्रत्याशी पर दांव खेला था. 1957 के चुनाव में अस्तित्व में आई इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़े नत्थू सिंह, 1962 में राम सिंह (निर्दलीय), 1967 और 1969 में मुंशीलाल (निर्दलीय), 1974 और 1977 में भारतीय क्रांति दल और जनता पार्टी से नत्थू सिंह फिर विधायक चुने गए. इसके बाद 1985 से 1996 तक बाबूराम यादव लोक दल और जनता दल के टिकट पर विधायक चुने गए. इसके बाद से सोबरन सिंह यादव का ही इस सीट पर कब्जा रहा. साल 2022 में सोबरन सिंह यादव की जगह अखिलेश यादव ने इस सीट से चुनाव लड़कर विधायक बने. बता दें कि अब दो यादव की लड़ाई में चुनाव (Bypoll Election 2024) दिलचस्प हो गया है.
कुंदरकी (मुरादाबाद)
मुरादाबाद जिले की कुंदरकी सीट पर चुनाव (Bypoll Election 2024) दिलचस्प हो गया है. समाजवादी पार्टी के जिया उर रहमान बर्क संभल सीट से लोकसभा के सांसद चुन लिए गए हैं. इस सीट पर कुल मिलाकर 12 उम्मीदवार (Bypoll Election 2024) मैदान में हैं. BJP के अलावा इस सीट पर सभी प्रत्याशी मुसलिम समुदाय से आते हैं. BJP ने इस सीट पर रामवीर सिंह ठाकुर फिर से प्रत्याशी बनाया है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने हाजी रिजवान को और BSP ने रफतउल्ला खां को अपना प्रत्याशी बनाया है. BJP ने इस सीट पर 31 साल पहले 1933 में जीत दर्ज की थी. इस सीट पर लंबे समय से समाजवादी पार्टी और BSP का कब्जा रहा है. कुंदरकी में कुल 3 लाख 83 हजार से ज्यादा वोटर्स हैं. इनमें मुस्लिम वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा यानी 2 लाख 45 हजार है. इसमें तुर्क वोटर्स की संख्या लगभग 70 हजार है. वहीं, करीब हिंदू वोटर्स की संख्या 1 लाख 38 हजार के आसपास है. इसके अलावा साल 2012 से लेकर 2022 तक समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर लगातार जीत दर्ज की है. कुंदरकी सीट साल 1967 में अस्तित्व में आई थी. ऐसे में इस सीट पर 15 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. ऐसे में मुस्लिम बहुल इस सीट पर मुकाबला समाजवादी पार्टी और BJP के बीच सीधा मुकाबला (Bypoll Election 2024) है.
कटेहरी (अंबेडकर नगर)
कटेहरी सीट (Bypoll Election 2024) पर राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. अंबेडकर नगर से समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा के विधायक से सांसद चुने जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा, BJP ने धर्मराज निषाद और BSP ने अमित वर्मा को टिकट दिया है. कटेहरी (Bypoll Election 2024) में कुल 4 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं. इसमें अनुसूचित जाति के 85 हजार, ब्राह्मण जाति के 50 हजार, कुर्मी जाति के 45 हजार, मुस्लिम जाति के 40 हजार, क्षत्रिय जाति के 30 हजार, निषाद जाति के 30 हजार, यादव जाति के 22 हजार, राजभर जाति के 20 हजार और अन्य जाति के वोटर्स शामिल हैं. इस सीट पर साल 1991 से 2022 तक हुए चुनावों में BJP को एक बार और समाजवादी पार्टी को दो बार जीत मिली है. वहीं, 1996 से 2007 तक धर्मराज निषाद BSP से विधायक चुने गए. वहीं, साल 2022 में समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा ने चुनाव में जीत दर्ज कर BSP का विजयरथ रोक दिया था. बता दें कि कटेहरी विधानसभा साल 1962 में अस्तित्व में आई है. इस सीट पर कुल 16 बार विधानसभा (Bypoll Election 2024) के चुनाव हो चुके हैं. साल 1962 में निर्दल महादेव, 1967 में कांग्रेस से राम नारायण, 1969 और 1974 कांग्रेस से भगवती प्रसाद शुक्ल, 1977 में जनता पार्टी से रविन्द्र नाथ तिवारी, 1980 में कांग्रेस से जिया राम शुक्ल, 1985 और 1989 में जनता दल से रविन्द्र नाथ तिवारी, 1991 में BJP से अनिल तिवारी, 1993 में बसपा से राम देव वर्मा, 1996 से लेकर 2007 में बसपा से धर्मराज निषाद, 2012 में समाजवादी पार्टी से शंखलाल मांझी, 2017 में BSP से लालजी वर्मा और 2022 में सपा से लालजी वर्मा विधायक चुने गए थे. इस सीट पर BJP और समाजवादी पार्टी में इस बार सीधा मुकाबला (Bypoll Election 2024) देखने को मिल सकता है.
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सीसामऊ (कानपुर शहर)
सीसामऊ की सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है. इस सीट (Bypoll Election 2024) पर समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी के जेल जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव (Bypoll Election 2024) कराए जा रहे हैं. इस सीट पर इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी समाजवादी पार्टी से, सुरेश अवस्थी BJP से, वीरेंद्र कुमार BSP से और चांद बाबू आजाद आजाद समाज पार्टी से चुनावी मैदान में हैं. यह सीट (Bypoll Election 2024) साल 2012 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आाया है. इसके बाद से ही इस सीट पर इरफान सोलंकी का दबदबा देखने को मिला है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 11 हजार के आसपास है. वहीं, ब्राह्मण वोटर्स करीब 70 हजार हैं, इसके बाद इस सीट पर दलित वोटर्स की संख्या करीब 60 हजार है. ऐसे में इस सीट पर BJP और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला (Bypoll Election 2024) देखने को मिल रहा है.
फूलपुर (प्रयागराज)
फूलपुर सीट BJP के विधायक रहे प्रवीण पटेल के सांसद बनने के बाद उपचुनाव (Bypoll Election 2024) हो रहे हैं. फूलपुर सीट को जवाहरलाल नेहरू की कर्मभूमि मानी जाती है. BJP ने इस सीट पर दीपक पटेल और समाजवादी पार्टी ने तीन बार के विधायक रह चुके मुज्तबा सिद्दीकी पर दांव लगाया है. बता दें कि कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 4 लाख के आसपास है. इसमें लगभग 75 हजार की संख्या के साथ सबसे अधिक अनुसूचित जाति वर्ग के वोटर्स शामिल हैं. इसके बाद पटेल वोटर्स की संख्या 70 हजार है. इसके अलावा यादव वोटर्स 60 हजार, मुस्लिम वोटर्स 50 हजार, ब्राह्मण वोटर्स 45 हजार, निषाद वोटर्स 22 हजार, वैश्य वोटर्स 16 हजार, क्षत्रिय वोटर्स 15 हजार और अन्य वोटर्स लगभग 50 हजार हैं. इस सीट पर अबतक 12 बार चुनाव हो चुके हैं. 2017 और 2022 में प्रवीण कुमार पटेल ने BJP से दो बार जीत दर्ज की है. वही, 2012 में समाजवादी पार्टी से सयेद अहमद, 2007 में समाजवादी पार्टी से अरुण कुमार यादव, 2002 और 1996 में कांग्रेस से राम नरेश यादव, 1993 में समाजवादी पार्टी से रमाकांत यादव, 1991, 1989 और 1985 में जनता दल और अन्य दलों से रमाकांत यादव, 1980 में कांग्रेस-I से अबुल कलाम, 1977 में पदमाकर ने डीत दर्ज की थी. ऐसे में इस सीट पर एक बार फिर से समाजवादी पार्टी और BJP के बीच कड़ा मुकाबला (Bypoll Election 2024) देखने को मिल सकता है.
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मझवां (मिर्जापुर)
निषाद पार्टी के विनोद बिंद के सांसद बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव (Bypoll Election 2024) कराए जा रहे हैं. इस सीट पर समाजवादी पार्टी से डॉ. ज्योति बिन्द, BJP से सुचिस्मिता मौर्य और BSP से दीपक तिवारी दीपू चुनावी मैदान में हैं. मझवां (Bypoll Election 2024) में बिंद जाति के 70 हजार, ब्राह्मण जाति के 65 हजार, कुशवाहा जाति के 35 हजार, कुर्मी जाति के 25 हजार, मुस्लिम समुदाय के 22 हजार, पाल जाति के 22 हजार, यादव जाति के 30 हजार, SC जाति के 65 हजार, भूमिहार जाति के 22 हजार, ठाकुर जाति के 10 हजार के वोटर्स शामिल हैं. साल 1952 में मझवां अस्तित्व में आई थी. 1952, 1957 और 1960 में कांग्रेस से बेचन राम, 1962 में भारतीय जनसंघ से राम किशुन, 1967 और 1969 में कांग्रेस से बेचन राम, 1974 में कांग्रेस से रुद्र प्रसाद सिंह, 1977 संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से शिवदास, 1980 और 1985 में कांग्रेस से लोकपति त्रिपाठी, 1989 में जनता दल से रुद्र प्रसाद, 1991 और 1993 में BSP से भागवत पाल, 1996 में BJP से रामचंद्र, 2002, 2007 और 2012 में BSP से रमेश चंद बिंद, 2017 में BJP से सुचिष्मिता मौर्य और 2022 में निषाद पार्टी से विनोद बिंद ने चुनाव जीता है. इस बार इस सीट पर भी कड़ा मुकाबला (Bypoll Election 2024) देखने को मिल सकता है.
मीरापुर (मुजफ्फरनगर )
RLD के चंदन चौहान के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट (Bypoll Election 2024) खाली हुई थी. इस सीट पर RLD ने पूर्व विधायक मिथिलेश पाल को, समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू और BSP के वरिष्ठ नेता मुनकाद अली की बेटी सुम्बुल राणा को और BSP ने शाहनजर को मैदान में उतारा है. इस सीट (Bypoll Election 2024) पर मतदाताओं की संख्या लगभग 3.23 लाख है. इसमें एक लाख 30 हजार के करीब मुस्लिम वोटर्स, 50 हजार से ज्यादा दलित वोटर्स, 35 हजार जाट वोटर्स, 20 हजार पाल वोटर्स, 20 हजार सैनी वोटर्स, 18 हजार गुर्जर वोटर्स और दूसरी बिरादरियों के वोटर्स की संख्या लगभग 50 हजार है. यह सीट परिसीमन के बाद साल 2012 में अस्तित्व में आई थी. पहली बार BSP से जमील अहमद कासमी, 2017 में BJP से अवतार सिंह भड़ाना और साल 2022 में RLD से चंदन चौहान ने जीत दर्ज की है. इस बार RLD और समाजवादी पार्टी में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
Conclusion Of UP Bypoll Election 2024
9 सीटों के अलावा एक सीट और है मिल्कीपुर (Bypoll Election 2024). हालांकि, मिल्कीपुर के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा की याचिका के कारण चुनाव आयोग ने इस सीट पर मतदान की तारीखों का एलान नहीं किया. बता दें कि इन सभी सीटों पर पहले 13 नवंबर को मतदान होने वाले थे, लेकिन त्योहारों को देखते हुए कांग्रेस, BJP, BSP यानी बहुजन समाज पार्टी और RLD राष्ट्रीय लोक दल समेत कई दलों ने भारतीय निर्वाचन आयोग से चुनाव की तिथि पर पुनर्विचार करने को कहा था. विभिन्न त्योहारों के मद्देनजर इन दलों ने निर्वाचन आयोग से आग्रह करते हुए कहा था कि इससे मतदान पर असर पड़ सकता है. इस आग्रह पर चुनाव आयोग ने मतदान (Bypoll Election 2024) की तिथि को 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर कर दिया. 20 नवंबर को मतदान के बाद 23 नवंबर को नतीजें जारी होंगे. इससे पहले इन सीटों पर चुनावी लड़ाई दिलचस्प हो गई है.
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