Uttarakhand News: उत्तराखंड के देवलगढ़ में ऑर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की एक यूनिट ने 4 पुरानी सुरंगों की खोज की. पुरातत्व से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये सुरंगें कत्यूरी शासनकाल की बताई गईं.
01 July, 2024
Uttarakhand News: ऑर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) की उत्तराखंड यूनिट ने राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के देवलगढ़ गांव में 4 प्राचीन सुरंगों की खोज की है. माना जाता है कि ये सुरंगें 7वीं से 11वीं शताब्दी के बीच मध्यकाल में कत्यूरी राजवंश के शासन के दौरान बनाई गई थीं.
कितना लंबी और चौड़ी हैं ये सुरंगे?
पौड़ी के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी चंद्र सिंह चौहान का कहना है कि उस समय में यहां जो राजा-महाराजा थे, उन्होंने अपनी सैन्य सुरक्षा के लिए सुरंगें बनवाई होंगी. वर्तमान समय में यहां 4 सुरंगें हैं, जिसमें कोई 50 मीटर लंबी है, कोई 100 मीटर लंबी है, तो कोई 150 मीटर लंबी सुरंग है. इसके अलावा इन चारों सुरंगों के अलग-अलग मुहाने हैं. किसी के 4 मुहाने हैं , तो किसी के 3 मुहाने बने हुए हैं. वहीं उनके अंदर आने-जाने के लिए सीढ़ियां भी मौजूद हैं.’
यहां स्थित है माता राज राजेश्वरी मंदिर
यहां आपको बता दें कि उत्तराखंड के देवलगढ़ में माता राज राजेश्वरी मंदिर स्थित है. माता राज राजेश्वरी गढ़वाल राजाओं की आराध्य देवी हैं. हर साल यहां दर्शन के लिए हजारों भक्त और श्रृद्धालु पहुंचते हैं. माता राज राजेश्वरी मंदिर के पुजारी कुंजिका प्रसाद उनियाल ने बताया कि दरअसल, ये सुरंगे राजा अजयपाल के जमाने की बताई जाती हैं. जब राजा अजयपाल चंदपुरगढ़ी से यहां देवलगढ़ आए, तो उन्होंने देवलगढ़ को अपना स्थान चुना. उस समय सामाजिक दृष्टिकोण से देवलगढ़ बेहद महत्वपूर्ण था. यहां 200 बड़ी घाटियां थीं जिनको 200 छोटी-छोटी पहाड़ियां काटकर बनाया गया था. यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि इन सुरंगों का निर्माण आपत्ति काल में छुपने के लिए किया गया था.’
सुरंगों की मरम्मत का काम जारी
नई खोजी गई सुरंगों को सुधारने और उनकी मरम्मत का काम जारी है, जिससे उत्तराखंड के इतिहास को समेटे इस इलाके को नई पहचान मिल सके और सैलानी बड़ी संख्या में यहां का रुख कर सकें.
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