Home Religious Dev Uthani Ekadashi 2024: नवंबर महीने में कब पड़ रहा है देवउठनी एकादशी का व्रत? नोट कर लीजिए तारीख और महत्व

Dev Uthani Ekadashi 2024: नवंबर महीने में कब पड़ रहा है देवउठनी एकादशी का व्रत? नोट कर लीजिए तारीख और महत्व

by Pooja Attri
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Dev Uthani Ekadashi 2024: नवंबर महीने में कब पड़ रहा है देवउठनी एकादशी का व्रत? नोट कर लीजिए तारीख और महत्व

Dev Uthani Ekadashi 2024 Date: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इस दिन श्रीहरि विष्णु 4 महीने की लंबी योग निद्रा से जागते हैं.

04 November, 2024

Dev Uthani Ekadashi 2024 Date: सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी खास महत्व रखती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. इसे देवउठनी एकादशी इसलिए कहते हैं क्योंकि इस दिन श्रीहरि विष्णु 4 महीने की लंबी योग निद्रा से जागते हैं. इस दिन से भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का दायित्व फिर से संभालते हैं. इसके अलावा देवउठनी एकादशी से ही मांगलिक कार्यों जैसे- शादी, सगाई, गृह प्रवेश और मुंडन आदि की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में आइए ज्योतिषाचार्य डा. अल्पना मिश्रा (Dr.Alpana Mishra, Astrologer Plam Redar & Vastu Visheshgya) से जानते हैं देवउठनी एकादशी की तारीख महत्व और पूजा विधि.

देवउठनी एकादशी तारीख (Dev Uthani Ekadashi Date)

वैदिक पंचांग की माने तो देवउठनी एकादशी तिथि का आरंभ 11 नवंबर की शाम 06:46 मिनट पर होने जा रही है, जिसकी समाप्ति 12 नवंबर की शाम 04:04 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक, देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर, मंगलवार को रखा जाएगा.

देवउठनी एकादशी का महत्व (Dev Uthani Ekadashi Significance)

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी मां का विवाह शालीग्राम से कराया जाता है इसलिए इस दिन तुलसी पूजा का खास महत्व है. मान्यतानुसार, देवउठनी एकादशी वाले दिन तुलसी और शालीग्राम का पूजन करने से पितृदोष दूर होता है. इस दिन जो व्यक्ति पूजा और व्रत करता है उसकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है.

देवउठनी एकादशी पूजन विधि (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi)

देवउठनी एकादशी वाले दिन सुबह जल्दी उठें और स्नानादि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें. फिर मंदिर की साफ-सफाई करके श्री हरिविष्णु और मां लक्ष्मी मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराकर गोपी चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं. फिर श्री हरि को पीले फूलों की माला, फल, तुलसी के पत्ते और मिटाई अर्पित करें. पूजा के दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और आरती करें. पूरे दिन व्रत धारण करते हुए रात में श्रीहरि का जागरण करें और सुबह पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें.

यह भी पढ़ें: Chhath Puja 2024: आखिर क्यों की जाती है छठ पूजा ? जानिए क्या है इस पर्व का धार्मिक महत्व

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