Home Religious Narak Chaturdashi 2024: दीवाली से ठीक पहले क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ? जानिए इसके पीछे की रोचक कहानी

Narak Chaturdashi 2024: दीवाली से ठीक पहले क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ? जानिए इसके पीछे की रोचक कहानी

by Pooja Attri
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Narak Chaturdashi 2024: दीवाली से ठीक पहले क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ? जानिए इसके पीछे की रोचक कहानी

Narak Chaturdashi 2024: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. आइए जानते हैं इस साल कब मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं.

28 October, 2024

Narak Chaturdashi 2024: हिंदू धर्म में नरक चतुर्थी का खास महत्व है. यह हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस पर्व को काली चतुर्दशी और रूप चौदस के नाम से भी जाना है, जिसे हर साल दीवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यानी यमराज के पूजन का विधान है. नरक चतुर्थी के दिन घर की दक्षिण दिशा में यम के नाम का दीप जलाया जाता है. साथ ही बाकी जगहों पर दीवाली की तरह दीप जलाने की परंपरा है. यही वजह है कि नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली भी कहते हैं. आइए जानते हैं इस साल कब मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं.

कब है नरक चतुर्दशी ?

हिंदू पंचांग की मानें तो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 30 अक्टूबर की सुबह 01:15 मिनट से होगी, जिसकी समाप्ति 31 अक्टूबर की दोपहर 03:52 मिनट पर होने जा रही है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, यह पर्व 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा.

ये है इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा

प्राचीन समय में एक अत्याचारी राक्षस हुआ करता था जिसका नाम नरकासुर था. इस राक्षस के उत्पात से स्वर्ग और धरती दोनों पर ही हाहाकार मचा हुआ था. नरकासुर ने कई देवताओं, संतों और ऋषियों को भी परेशान किया हुआ था. उसके अत्याचारों, क्रूरता और ताकत से मनुष्यों के साथ-साथ देवतागण भी परेशान रहने लगे. नरकासुर ने जबरन विवाह करने के लिए 16,000 कन्याओं को बंदी बनाकर रखा था.

एक दिन देवराज इंद्र नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर भगवान कृष्ण के पास गए और नरकासुर के अत्याचारों के बारे में बताया. भगवान श्रीकृष्ण यह बात जानते थे कि नरकासुर केवल स्त्री के हाथों से ही मारा जा सकता है, क्योंकि उसे यह श्राप मिला था. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरुड़ पर सवार होकर नरकासुर के पास गए. फिर वहां पहुंचकर श्री कृष्ण का सामना दैत्य मुर और उसके 6 पुत्रों से हुआ, जिन्हें भगवान ने अपनी पत्नी की मदद से मार गिराया.

फिर जब नरकासुर ने उनके मरने की खबर सुनी तो वह युद्ध के लिए सेना लेकर आ गया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने पत्नी सत्यभामा को अपने रथ का सारथी बनाया और उनकी मदद से असुर नरकासुर को मार गिराया. फिर भगवान श्रीकृष्ण नरकासुर के पुत्र भगदत्त को अभय का वरदान दिया और प्रागज्योतिष का राजा बनाया. नरकासुर का वध जिस दिन हुआ उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी, इसी वजह से इसे नरक चतुर्दशी का नाम दिया गया. नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं को नरकासुर की कैद से मुक्त किया, इसी खुशी में दीप जलाकर जश्न मनाया गया.

यह भी पढ़ें: Diwali Poojan 2024: आखिर क्या है ‘बही-खाता’ ? दीवाली पूजन से क्या है इसका खास कनेक्शन

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