Ramcharitmanas UNESCO: ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में रामचरितमानस, पंचतंत्र और सह्रदयालोक-लोकन को शामिल किया गया.
28 May, 2024
Memory of the World Regional Register: रामचरितमानस, पंचतंत्र और सह्रदयालोक-लोकन को ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया गया है. ये फैसला मेमोरी ऑफ दी वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड दी पैसिफिक (एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं आम बैठक में लिया गया, जो सात-आठ मई के दौरान मंगोलिया की राजधानी उलानबटार में आयोजित की गई थी. इस पर आईजीएनसीए के अधिकारी और यूनेस्को में भारत के प्रतिनिधि प्रोफेसर डॉ. रमेश चंद्र गौड़ का कहना है कि इससे उनका उत्साह और बढ़ गया है.
यूनेस्को में शामिल किए गए भारत के 3 ग्रंथ
PTI वीडियो को रमेश चंद्र गौड़ ने बताया, ‘ये इस संदर्भ में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि जब हमने अयोध्या में भगवान राम मंदिर का उद्घाटन किया तो रामचरितमानस को यूनेस्को के एशिया प्रशांत रीजनल रजिस्टर में शामिल किया गया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये भगवान राम के अनुयायियों को विशेष रूप से एक बड़ा संदेश देने वाला है, खासकर दक्षिण एशियाई देशों में जहां रामायण प्रसिद्ध महाकाव्यों में से एक है. साथ ही ये थाईलैंड, कंबोडिया, मंगोलिया और इंडोनेशिया, वियतनाम, लाओस जैसे देशों में भी संदेश देगा, जहां रामलीला परंपरा अभी भी चलन में है.
पहली बार पेश किए गए 3 नामांकन
ये पहली बार है कि हमने तीन नामांकन पेश किए हैं – तुलसीदास की तरफ से रामचरितमानस, विष्णु शर्मा की तरफ से पंचतंत्र और आनंदवर्धन की तरफ से सहृदयलोक-लोकन और अभिनवगुप्त की तरफ से शिलालेख के लिए तीन नामांकनों का चयन किया गया है. पंचतंत्र बहुत फेमस है और इसका 50 से ज्यादा भाषाओं में अनुवाद किया गया है. सहृदयलोक-लोकन भारतीय सौंदर्यशास्त्र में सबसे दुर्लभ ग्रंथों में से एक है. इन तीन नामांकनों के साथ ये तीन महान पांडुलिपियां दुनिया भर में जानी जाएंगी और इसका कंटेंट लोगों को पता चलेगा और मुझे यकीन है कि कई लोगों को इससे फायदा होगा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘रामायण और बौद्ध धर्म भारत और दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच दो सांस्कृतिक पुल हैं. इन दोनों ग्रंथों का वहां के लोगों की तरफ से सबसे ज्यादा सम्मान किया जाता है. इंडोनेशिया, कंबोडिया, थाईलैंड में रामलीला परंपराएं अभी भी चलन में हैं. रामायण की 331 से ज्यादा विविधताएं हैं. लोग भगवान राम को मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में सबसे ज्यादा सम्मान देते हैं. दुनिया के वर्तमान संदर्भ में जहां बहुत सारे संघर्ष हैं और विश्व शांति खतरे में है, भगवान राम और बुद्ध दोनों के पास देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण संदेश हैं.’
एशियाई देशों के साथ नए सांस्कृतिक संबंधों की शुरूआत
रमेश चंद्र गौड़ ने कहा कि ये एशियाई देशों और भारत के बीच नए सांस्कृतिक संबंधों के युग की शुरुआत है.उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि इस नामांकन के साथ, चीजें निश्चित रूप से बेहतर रूप से जानी जाएंगी. हमें बड़ी और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है. आने वाले चक्रों में हम अशोक के शिलालेख तैयार करना चाहते हैं, साथ ही कौटिल्य का अर्थशास्त्र, वाल्मिकी की रामायण भी. कई देश वाल्मिकी की रामायण पर हमारे साथ संयुक्त नामांकन करने के लिए उत्सुक हैं क्योंकि दुनिया में इसकी कई विविधताएं हैं. ये यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर न केवल हमारी विशाल प्राचीन साहित्यिक विरासत को दिखाने की जगह है. ये एशियाई देशों और भारत के बीच नए सांस्कृतिक संबंधों के युग की शुरुआत है.’
रामचरितमानस है मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल
इस उपलब्धि पर आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने पीटीआई वीडियो से कहा, ‘यूनेस्को ने एक साल में रामचरितमानस को अपने ‘मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया है, जोकि अयोध्या में भगवान राम मंदिर के उद्घाटन के साथ मेल खाता है. ये पांडुलिपि सिखाती है कि संकट के समय कैसे राहत पाई जा सकती है. प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ की ये पांडुलिपि आईजीएनसीए के लिए संतोष की बात है कि इस दिशा में सफल कोशिशें हुई हैं.’
दुनियाभर में छाप छोड़ रही रामचरितमानस
स्कॉलर डॉ. संजीव पांचाल ने कहा, ‘ये सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि दुनिया हमारे साहित्य की तारीफ कर रही है और इसे देख रही है. ये दुनिया में एक छाप छोड़ रहा है. रामचरितमानस हमारी सामाजिक वास्तविकताओं और हमारी सांस्कृतिक विरासतों का जिक्र करता है. यूनेस्को की तरफ से नामांकन के साथ ही भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर ले जाया जा सका है.’
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