उत्तर प्रदेश के मथुरा की आरोही अग्रवाल ने 12 साल की छोटी उम्र में ही हारमोनियम, तबला, गिटार और जाइलोफोन समेत लगभग हर संगीत वाद्य बजाने में महारत हासिल कर ली है.
22 April, 2024
उत्तर प्रदेश के मथुरा की आरोही अग्रवाल ने 12 साल की छोटी उम्र में ही हारमोनियम, तबला, गिटार और जाइलोफोन समेत लगभग हर संगीत वाद्य बजाने में महारत हासिल कर ली है. प्रतिभावान आरोही को संगीत के लिए कई पुरस्कार मिले हैं. इनमें दिल्ली के एक फाउंडेशन से डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार भी शामिल है.
Uttar Pradesh, Mathura आरोही अग्रवाल, संगीतकार
उत्तर प्रदेश के मथुरा की आरोही अग्रवाल ने बताया “जब वे चार साल की थी तब उन्हें एपीजे अब्दुल कलाम अवॉर्ड मिला था, क्योंकि वे उस समय सब बजा लेती थी ऐसा इसलिए था, क्योंकि मम्मी-पापा, दादू, भुआ सबने उन्हें सिखाया तो उससे उन्हें काफी सिखने के बाद आ गया और अभी तक वो सिखा करती हैं. अभी भी और वो हारमोनियम, तबला, ढोलक, गिटार, बोंगो-कांगो ये सब बजा लेती हैं और उन्हें बहुत अच्छा लगता है जब वे ये सब बजाती हैं.”
Uttar Pradesh, Mathura आरोही के दादा डॉक्टर राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल
आरोही अपने दादा डॉक्टर राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल से प्रेरणा लेती हैं. वे मथुरा के मशहूर संगीतकार हैं और अपना संगीत विद्यालय भी चलाते हैं. आरोही दादा डॉक्टर राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि “ये सौभाग्य की बात है हमारी, मैं मेरी पत्नी भी इसी लाइन में थी वोरेडियो पर गाती थी और हमारे परिवार का पूरा वातावरण ही ऐसा ही है काफी टाइम से तो मेरे को तो बहुत अच्छा ही लगेगा कि परिवार की वो विधा ही ले लेकिन मैं फिर भी ये जरुर चाहुंगा कि बच्चे अपनी पढाई पर भी ध्यान दें. मैं इसको भी कहता हूं अपनी पढाई पर बराबर ध्यान दो और इसके साथ ही शिखर तक को भी छु लो.”
इसके अलावा संगीत वाद्यों को सहजता से बजाने के अलावा आरोपी एक बेहतरीन गायिका भी हैं.
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