18 Feb 2024
हिंदू धर्म में सोलह श्रृंगार का बेहद महत्व है। शादीशुदा औरत माथे पर बिंदी, मंगलसूत्र, चूड़ी, झुमके, मांग टीका और बिछिया आदि सोलह चीजों से खुद को सजाती है। शास्त्रों में भी सोहल श्रृंगार के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। सनातन धर्म में शादीशुदा नारी पैरों में चांदी की बिछिया पहनती है। पैरों में बिछिया पहनना सुहाग की एक निशानी मानी जाती है। बिछिया पहनने से पैरों की खूबसूरती तो बढ़ती ही है, लेकिन इसके कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं। जानते हैं पैरों में बिछिया पहनने का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण…
बिछिया का धार्मिक महत्व
बिछिया सोलह श्रृंगार में शामिल की जाती हैं। धार्मिक मान्यतानुसार, जो स्त्री शादी के बाद पैरों में बिछिया पहनती है। उसकी मैरिड लाइफ खुशहाली से भरी रहती है। वहीं स्त्री को हमेशा पैर की दूसरी या फिर तीसरी उंगली में ही बिछिया पहननी चाहिए। ऐसा करने से पति के साथ रिश्ते अच्छे और मजबूत बनते हैं।
पहनती हैं मां दुर्गा
पूजा के समय मां दुर्गा का भी बिछिया पहनाकर श्रृंगार किया जाता है। इसको शुभता का प्रतीक माना जाता है। बिछिया पहनने से मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती है। जिससे नेगेटिव एनर्जी का नाश होता है। सनातन धर्म के अनुसार, कुंवारी कन्या को बिछिया नहीं पहननी चाहिए। बिछिया शादी के ही पहनना शुभ माना गया है।
रामायण से हैं संबंध
रामायण में जब रावण मां सीता का हरण करके ले जा रहा था तो, सीता मां ने अपनी बिछिया रास्ते में फेंक दी थी। ऐसा करने से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम मां सीता को आसानी से ढूंढ पाए।
वैज्ञानिक वजह
बिछिया पैर की दूसरी और तीसरी उंगली में पहनी जाती है। जो महिलाओं के दिल और गर्भाशय सीधा संबंध रखती है। बिछिया पहनने से महिलाओं का प्रजनन क्षमता मजबूत होती है। जिससे प्रेग्नेंसी में कोई प्रॉब्लम नहीं होती।
Disclaimer: ये खबर सिर्फ आपको जागरूक करने के लिए लिखी गई है। इसके लिए घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारी की मदद ली गई है। अपनी स्किन और सेहत के लिए कोई नुस्खा आजमाने से पहले कृप्या डॉक्टर्स की सलाह लें।