बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर है. यहां महाकाल की आरती भस्म से की जाती है. भस्म की आरती से लेकर भस्म को तैयार किए जाने तक, सबकुछ खास महत्व रखता है.
23 March 2024
Mahakaleshwar Jyotirling: भोलेनाथ पूरे भारत में 12 जगहों पर विराजमान हैं, जिनको 12 ज्योतिर्लिंग के नाम दिया गया है. बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर है. यहां महाकाल की आरती भस्म से की जाती है. भस्म की आरती से लेकर भस्म को तैयार किए जाने तक, सबकुछ खास महत्व रखता है. चलिए जानते हैं महाकालेश्वर में भस्म से क्यों की जाती है आरती? जानिए महत्व.
क्यों की जाती है भस्म से आरती
पौराणिक कथानुसार, एक बार उज्जैन नगरी में दूषण नाम के एक राक्षस ने खौफ फैला रखा था, जिसके चलते भगवान शिव जी से ब्राह्मणों ने अपनी रक्षा की प्रार्थना की. उस दौरान भोले शंकर ने राक्षस दूषण को चेतावनी दी, लेकिन वो फिर भी नहीं माना. तब भोलेनाथ क्रोधित हो गए और उन्होंने महाकाल का रूप धारण कर लिया. फिर महाकाल रूप में भोलेनाथ ने राक्षस दूषण को कर दिया और उसी भस्म से अपना श्रृंगार किया. तभी से भस्म से भोलेनाथ की श्रृंगार करने की प्रथा चली आ रही है, जिसे आज भस्म आरती के रूप में जाना जाता है.
मिलता है ये संदेश
भोलेनाथ शमशाम में साधना करते थे इसलिए उनको भस्म का श्रृंगार किया जाता है. महाकाल को श्रृंगार में भस्म चढ़ाने के पीछे ये संदेश दिया जाता है कि संसार नश्वर है. यहां देखा जाए तो भस्म आरती का एक गहरा अर्थ है. भस्म या राख को शरीर के अंतिम सत्य की ओर इशारा करता है. हिंदू धर्म में मृत्यु के पश्चात शरीर को अग्नि में जला दिया जाता है और अंत में सिर्फ राख रह जाती है. ऐसे में यहां भस्म आरती शरीर के अंतिम सत्य को दिखाती है, इसी को सृष्टि का सार कहा जाता है.
भस्म ऐसे होती है तैयार
महाकालेश्वर की आरती जिस भस्म या राख से की जाती है वो खास महत्व रखती है. आरती के लिए तैयार की गई इस भस्म को कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास, बेर की लकड़ियों और शमी को जलाकर तैयार किया जाता है. हालांकि, वर्षों पहले महाकाल की आरती शमशान से लाई गई भस्म से की जाती है.
मान्यता
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर भस्म चढ़ाने के बाद इस भस्म को भक्तों में प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है. मान्यतानुसार, जो व्यक्ति भस्म के इस प्रसाद को ग्रहण करता है उस पर महादेव की कृपा बनी रहती है. साथ ही साधक रोग और दोष मुक्त हो जाता है.
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