Home ScienceTechnology DRDO के साथ मिलकर IIT इंदौर ने किया कमाल, माइक्रो एक्टिविटी पर नजर रखने के लिए बनाई नई तकनीक; रक्षा क्षेत्र में भी मिलेगी मदद

DRDO के साथ मिलकर IIT इंदौर ने किया कमाल, माइक्रो एक्टिविटी पर नजर रखने के लिए बनाई नई तकनीक; रक्षा क्षेत्र में भी मिलेगी मदद

by Sachin Kumar
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IIT Indore did wonders in collaboration with DRDO, created new technology to monitor micro activities; Help will be available in defense sector also

IIT-DRDO News : IIT इंदौर ने DRDO की मदद से नई तकनीक को विकसित किया है, जिसके माध्यम से विस्फोट होने के बाद वस्तुएं किस दिशा में चलती है और वह कैसा व्यवहार करती हैं इसको आसानी से कैप्चर किया जा सकता है.

20 August, 2024

IIT-DRDO News : इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) इंदौर ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के साथ मिलकर विस्फोट होने के बाद माइक्रो एक्टिविटी की काफी करीब से तस्वीरें खींचने के लिए नई तकनीक को विकसित किया है. इस टेक्नोलॉजी से रक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्रों में बड़े बदलाव आ सकते हैं. अधिकारियों ने बताया कि टेक्नोलॉजी को IIT इंदौर के प्रोफेसर देवेंद्र देशमुख के नेतृत्व में विकसित किया गया है. बता दें कि विस्फोटक घटनाओं में तेज गति से चलने वाले कणों की तस्वीरें को लेना वैज्ञानिकों के लिए काफी चुनौती भरा रहा है.

कई बड़ी घटनाओं के बारे में मिल सकती है जानकारी

अधिकारियों ने बताया कि अधिक एक्सपोजर के समय में अधिकतर धुंधली फोटो और विवरण का नुकसान होता है. इसके कारण वैज्ञानिकों को कई बड़ी घटनाओं के बारे में अधूरी जानकारी प्राप्त होती है. वहीं, इन सब समस्याओं को देखते हुए प्रोफेसर देवेंद्र देशमुख ने डिजिटल इनलाइन होलोग्राफी के प्रिंसिपल्स का इस्तेमाल करके एक नई तकनीक को विकसित किया. उन्होंने कहा कि इससे पहले धूल, छोटी वस्तुओं और बादलों को अधिक स्पष्टता के साथ देखने में आसानी होगी, इससे पहले इन सब चीजों की तस्वीरें लेने में काफी मुश्किलें आती थीं.

कम समय में अच्छी तस्वीरें होंगी कैप्चर

शोधकर्ताओं को छोटी सी छोटी घटना की तस्वीरें कैप्चर करने में काफी आसानी होगी. इसके अलावा वस्तुओं, अंतरिक्ष में छोटे-छोटे कण और घटना की तत्काल सटीक जानकारी निकालने में काफी आसानी होगी. साथ ही विस्फोट के बाद वस्तुएं किस दिशा में चलती है और कैसा व्यवहार करती हैं इनकी तस्वीरें भी लेना एक नया अनुभव होगा. आईआईटी के प्रोफेसर सुहास जोशी (Professor Suhas Joshi) ने कहा कि इस तकनीक को जो सबसे अलग बनाती है, वो समय को काफी महत्व देती है, जबकि पारंपरिक तकनीक सिर्फ 1 माइक्रोसेकंड एक्सपोजर समय तक ही सीमित था. यह नई तकनीक 50 नैनोसेकंड से भी कम एक्सपोजर समय के साथ तस्वीरों को कैप्चर करने में उपयोगी है.

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