World Chess Champion: चेस की दुनिया में इस समय जिसका नाम सबसे आगे चल रहा है वह और कोई नहीं डी गुकेश हैं. चेस में दुनिया को सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन मिल गया है.
World Chess Champion: विश्वनाथन आनंद के बाद भारत को चेस में दूसरा वर्ल्ड चैंपियन मिल गया. भारत के ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के दिग्गज खिलाड़ी डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया है. चेस के इतिहास में डी गुकेश सबसे कम उम्र में विश्व चैंपियन बनने वाले खिलाड़ी बन गए हैं. समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में डी गुकेश ने कई बड़ी बातों का जिक्र किया है.
शतरंज खेलने का कारण पैसा नहीं
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मीडिया से बातचीत करते हुए डी गुकेश ने कहा कि वह चेस का खेल पैसों के लिए नहीं बल्कि अपने उस खुशी के लिए खेलते हैं.उनके लिए चेस सबसे अच्छा खेल है. बता दें कि चेन्नई के 18 साल के डी गुकेश अब कुल 11.45 करोड़ रुपये से अधिक की पुरस्कार राशि मिली है. उन्हें फाइनल में चीन के डिंग लिरेन को हराने के बाद पुरस्कार के तौर पर मिली है. डी गुकेश के पिता रजनीकांत ने अपने बेटे के साथ सर्किट (चेस टूर्नामेंट) पर जाने के लिए अपनी सर्जन की नौकरी भी छोड़ दी. माइक्रो बायोलॉजिस्ट के तौर पर काम करने वाली उनकी मां पद्मकुमारी की कमाई से घर का खर्चा चलता था. इस दौरान उन्होंने बताया कि इतनी पुरस्कार राशि जीतना उनके लिए क्या मायने रखता है. गुकेश ने बताया कि यह बहुत मायने रखता है. जब मैं शतरंज में आया, तो हमें कुछ कठोर निर्णय लेने पड़े. मेरे माता-पिता पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा. अब हम अधिक सहज हैं और माता-पिता को उन चीजों के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है. हालांकि, उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि व्यक्तिगत रूप से मेरे शतरंज खेलने का कारण पैसा नहीं है.
पहले चेस बोर्ड पर क्या बोले गुकेश?
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अपने पहले शतरंज बोर्ड को लेकर कहा कि मैं अभी भी वह बच्चा हूं जिसे शतरंज पसंद है. उस समय यह सबसे बढ़िया खिलौना हुआ करता था. गुकेश के लिए उसके माता-पिता ही उसकी दुनिया हैं. गुकेश के पिता सभी चेस टूर्नामेंट में उनके साथ जाते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी मां आध्यात्मिक शक्ति का स्तंभ है. डी गुकेश ने कहा कि मां अब भी कहती हैं, मुझे यह जानकर खुशी होगी कि वह एक महान शतरंज खिलाड़ी हैं, लेकिन मुझे यह सुनकर खुशी होगी कि वह एक महान व्यक्ति हैं. उन्होंने आगे कहा कि सबसे महान खिलाड़ी भी बहुत सारी गलतियां करते हैं. भले ही टेक्निक नई क्यों न हो. शतरंज के बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है. मेरा दृढ़ विश्वास है कि जितना अधिक आप कुछ सीखते हैं, उतना ही अधिक आपको एहसास होता है कि आप उस चीज को नहीं जानते हैं. जब भी मैं शतरंज बोर्ड पर होता हूं, मुझे लगता है कि मैं कुछ नया सीख रहा हूं.
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