Home RegionalBihar हरनौत क्यों बन रहा बिहार की सियासत का केंद्र, नीतीश कुमार के बेटे से क्यों जुड़ रहे हैं तार?

हरनौत क्यों बन रहा बिहार की सियासत का केंद्र, नीतीश कुमार के बेटे से क्यों जुड़ रहे हैं तार?

by Divyansh Sharma
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Bihar Politics: चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार राजनीति में कदम रख सकते हैं और हरनौत विधानसभा से पहला चुनाव लड़ सकते हैं.

Bihar Politics: बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले सियासी हलचल तेज होती जा रही है. इसी क्रम में बिहार के नालंदा जिले के हरनौत विधानसभा क्षेत्र में सियासत गरमा गई है. दरअसल, सियासी गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार राजनीति में कदम रख सकते हैं और हरनौत विधानसभा से पहला चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में आपको बताते हैं कि हरनौत से नीतीश कुमार का क्या रिश्ता है.

JDU के हरि नारायण सिंह हैं वर्तमान विधायक

दरअसल, नीतीश कुमार की पार्टी JDU यानि जनता दल यूनाइटेड के कई नेता निशांत कुमार के राजनीतिक डेब्यू की बात कर रहे हैं. इस बीच नीतीश कुमार की उम्र और कार्यकर्ताओं की डिमांड को देखते पार्टी के नेता भी नीतीश कुमार से फैसला लेने के लिए कह रहे हैं. हालांकि, निशांत कुमार खुद कई बार साफ कर चुके हैं कि वह राजनीति में नहीं आएंगे.

वहीं, JDU के कई नेता कह रह हैं कि अगर निशांत कुमार राजनीति में आएंगे तो उनका स्वागत किया जाएगा. ऐसे में हरनौत विधानसभा क्षेत्र चर्चाओं में आ गया है. हरनौत से फिलहाल JDU के हरि नारायण सिंह विधायक चुने गए हैं. दरअसल, नीतीश कुमार ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत हरनौत विधानसभा से ही की थी. सात 1985 में वह पहली बार हरनौत विधानसभा से ही विधायक चुने गए थे.

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हरनौत से दो बार चुनाव भी हारे नीतीश कुमार

दरअसल, साल 1977 में आपात काल हटने के बाद चुनाव की तारीखों का एलान हुआ था. देश के छठे लोकसभा के लिए जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में लालू प्रसाद यादव, महामाया प्रसाद सिन्हा और तीसरे रामविलास पासवान ने चुनाव लड़ा. हालांकि, जेल में होने के कारण नीतीश कुमार टिकट पाने से वंचित रह गए. उसी समय हरनौत विधानसभा सीट का गठन हुआ था. पहली बार नीतीश कुमार ने 1977 में ही जनता पार्टी के टिकट पर हरनौत से चुनाव लड़ा.

हालांकि, जनता पार्टी की लहर में नीतीश कुमार चुनाव हार गए. बेलछी का नरसंहार इस हार की वजह माना गई. साल 1980 के चुनाव में दोबारा चुनाव लड़ रहे नीतीश कुमार को फिर से हार नसीब हुई. इसके बाद साल 1985 में तीसरी बार उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

इसके बाद साल 1989 में बाढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर नीतीश ने अपना कद और बड़ा कर लिया. साथ ही केंद्र में उनको मंत्री पद भी मिल गया. इस बीच लालू और नीतीश में धीरे-धीरे दुश्मनी बढ़ती गई. ऐसे में अब हरनौत से निशांत का नाम सामने आने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है.

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