Bulldozer Action : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी कार्यकारी न्यायाधीश नहीं बन सकता है और आरोपी को दोषी घोषित नहीं कर सकता.
Bulldozer Action : अपराधियों और अवैध निर्माण को लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की ‘बुलडोजर’ एक्शन काफी पॉपुलर है. यूपी के बाद कई राज्यों ने भी अपराधियों पर नकेल कसने के लिए ‘बुलडोजर’ एक्शन को अपनाया है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया . सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी कार्यकारी न्यायाधीश नहीं बन सकता है, आरोपी को दोषी घोषित नहीं कर सकता और उसका घर नहीं गिरा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना मुकदमें के घर तोड़कर किसी भी अपराधी को सजा नहीं दी जा सकती है. अगर किसी का भी घर अवैध तरीके से तोड़ा गया है तो उसे मुआवजा दें. कोर्ट ने कहा कि मनमानी करने वाले अधिकारियों पर एक्शन लिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि घर बनाना हर व्यक्ति का सपना होता है. ऐसे में क्या कार्यपालिका को दंड के रूप में आश्रय छीनने की अनुमति दी जानी चाहिए…?
पूरी तरह से असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर लोगों के घर सिर्फ इसलिए गिरा दिए जाते हैं क्योंकि वे आरोपी या दोषी हैं तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक होगा. कोर्ट ने कहा है कि अभियुक्तों और दोषियों के पास संविधान और आपराधिक कानून के आलोक में कुछ अधिकार, सुरक्षा उपाय हैं.
3 महीने के अंदर पोर्टल बनाने का आदेश
कोर्ट ने 3 महीने के अंदर पोर्टल बनाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी का घर अवैध है भी तो उसे नोटिस में अवैध निर्माण की पूरी जानकारी दी जाए और नोटिस देने के 15 दिनों तक कोई भी एक्शन नहीं लिया जाएगा. कोर्ट ने साफ कहा कि पक्ष सुने बिना कोई भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए.
6 गाइड लाइन जारी
बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 6 गाइड लाइन जारी की है. इसमें बुलडोजर एक्शन से पहले नोटिस, बिना पक्ष सुने एक्शन नहीं लेना, डाक के जरिए नोटिस, नोटिस की जानकारी डीएम को देना जरूरी, कोर्ट ने 142 के तहत निर्देश दिया गया, इन सभी गाइड लाइन का अब बुलडोजर एक्शन से पहले पालन करना होगा.
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