SC-ST Classification : एससी-एसटी में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर BSP प्रमुख मायावती ने असहमति जताई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने 20 साल पुराने फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि वर्गीकरण संविधान की मूलभावना के खिलाफ है.
04 August, 2024
SC-ST Classification : बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने रविवार को प्रेस कॉफ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) पर दिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले पर असहमति जताई है. मायावती ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा दिए उप-वर्गीकृत फैसले से हमारी पार्टी सहमत नहीं है.
कई समस्याएं होंगी उत्पन्न
मायावती ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट की 7 न्यायाधीशों की पीठ ने 1 अगस्त, 2024 को SC-ST आरक्षण के संबंध में जो फैसला सुनाया है, उसमें उप-वर्गीकृत की मान्यता दी गई है. इस फैसले में और भी बातें कही गई हैं, उनसे हमारी पार्टी कतई सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में देविंदर सिंह बनाम पंजाब सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकारें उप-वर्गीकरण के नाम पर आरक्षित वर्गों की सूची तैयार करेगी. इसके कारण कई समस्याएं उत्पन्न होंगी.
वर्गीकरण करना संविधान की मूलभावना के खिलाफ
BSP प्रमुख ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से 20 साल पुराना (सन 2004) 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के मामले में फैसला दिया था कि SC-ST में उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है, लेकिन माननीय शीर्ष अदालत ने उसे पलट दिया है. मायावती ने कहा कि उस वक्त पीठ ने कहा था कि यह सभी लोग समान हैं और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के लोगों ने जो अत्याचार सहे हैं, वह वर्ग या समूह के रूप में बर्दाश्त किए हैं. इसलिए यह एक बराबर का वर्ग है. इसके भीतर किसी प्रकार का वर्गीकरण उचित नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2004 के फैसले में यह भी कहा था कि इन वर्गों में उप-वर्गीकरण करना संविधान की मूलभावना के खिलाफ है.
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