Important Points of Chandrayaan-3 : चंद्रयान-थ्री के चंद्रमा पर उतरने के करीब एक साल बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने मिशन के नतीजों के बारे में बताया है.
25 August, 2024
Important Points of Chandrayaan-3 : चंद्रयान-थ्री के अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर ने चंद्रमा के शुरुआती दौर के बारे में नई जानकारियां दी हैं. आंकड़ों से पता चला है कि चंद्रमा की सतह परतों में बनी है. इससे इस सिद्धांत को मजबूती मिलती है कि चंद्रमा की सतह कभी पिघली हुई चट्टानों के विशाल महासागर से ढकी हुई थी. भारी खनिज निचली परत में हैं, जबकि हल्के खनिज ऊपरी परत में हैं. इसके अलावा वैज्ञानिकों का अनुमान है कि चंद्रमा पर सबसे बड़ा और सबसे पुराना बेसिन एस्टेरॉयड गिरने से बना होगा. ISRO के लिए चंद्रयान-थ्री की कामयाबी अहम उपलब्धि थी. ये नतीजे रोवर के एक प्रमुख उपकरण से मिले हैं. नतीजे चंद्रमा की सतह के बारे में नई जानकारियां देते हैं. साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि इनका असर आने वाले समय में अंतरिक्ष अभियानों पर पड़ सकता है.
मौजूदा सतह पर गिरा है Asteroid?
चंद्रयान-थ्री के नतीजे इस सिद्धांत को मजबूत करते हैं कि कभी पिघले चट्टान से ढकी चंद्रमा की सतह परतों में बनी है. दक्षिणी ध्रुव पर गहरी परतों में खनिजों की मौजूदगी पाई गई है. इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि मौजूदा सतह किसी एस्टेरॉयड (Asteroid) के गिरने से बनी होगी. इसे लेकर ISRO के अध्यक्ष डॉक्टर एस. सोमनाथ ने भी कई महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि हम विज्ञान के अलग-अलग हिस्सों पर गौर कर रहे हैं. पहला, ये सवाल कि चंद्रमा कहां से आया? क्या ये किसी दूसरे एस्टेरॉयड से पैदा हुआ? या खुद छोटा सा ग्रह है? चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल क्या है? ये बुनियादी सवाल हैं. दूसरा, कि क्या चंद्रमा से हमारी धरती के बनने के बारे में कोई सुराग मिलेगा? और क्या ये भविष्य में रहने लायक बन सकता है? हम उपकरणों के जरिये इन्हें समझने की कोशिश कर रहे हैं. दो दिन पहले द नेचर में इसपर एक पेपर प्रकाशित भी हुआ था.
MP-IDSA डिप्टी डायरेक्टर ने बताए कई तथ्य
वहीं, इन सवालों के मद्देनजर MP-IDSA डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉक्टर अजय लेले ने भी कई बड़ी बते कीं. उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह पर कैल्शियम और दूसरी चीजों की मौजूदगी के संकेत मिले हैं. ऑक्सीजन की मौजूदगी का भी संकेत मिला है. दुर्भाग्य से अभी ISRO को हाइड्रोजन अणु की मौजूदगी का संकेत नहीं मिला है. अगर ये मिलता है तो जहां हम उतरे थे वहां पानी हो सकता है. अभी तक ये साफ नहीं है कि वहां पानी है या नहीं. फिलहाल वैज्ञानिक इन सवालों की जांच में जुटे हैं और उम्मीद है कि जल्द से जल्द इस सभी विषयों का पता लगाया जा सकता है.
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