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महाराष्ट्र में MNS पर मान्यता और चुनाव चिह्न खोने का मंडराया खतरा; राज ठाकरे ने बुलाई आपात बैठक

by Sachin Kumar
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Maharashtra MNS hangs losing recognition election symbol looms

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मनसे का निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी और चुनाव चिह्न पर तलवार लटक गई है. इसको बचाने के लिए राज ठाकरे ने अपने आवास पर आपात बैठक बुलाई है.

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में महायुति को बहुमत आने के बाद सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है और मुख्यमंत्री पद पर भी चर्चा तेज हो गई है. इसी बीच विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी की मान्यता और चुनाव चिह्न रेल का इंजन खोने का खतरा मंडरा रहा है. क्योंकि MNS राज्य चुनाव में एक भी सीट जीतने में कामयाबी हासिल नहीं कर पाई है. राज ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने 125 उम्मीदवार मैदान में उतारे जहां एक प्रत्याशी जीत की दहलीज तक नहीं पहुंचा, जिसमें उनके बेटे अमित ठाकरे को भी हार का सामना करना पड़ा.

चुनाव आयोग तय करता है मानदंड

महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व सचिव अनंत ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि राजनीतिक दल के लिए अपनी मान्यता और आरक्षित चुनाव चिह्न को बनाए रखने के लिए भारत चुनाव आयोग के मानदंडों को पूरा करना होता है. किसी पार्टी को मान्यता बनाए रखने के लिए किसी पार्टी को या तो कम से कम एक सीट जीतनी होगी और कुल वोट शेयर का 8 प्रतिशत हासिल करना होगा. दूसरा 6 प्रतिशत वोट के सात कम से कम 2 सीट जीतनी होगी. कोई राजनीतिक दल इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं करता है तो चुनाव आयोग उसकी मान्यता रद्द कर देता है. अनंत कलसे ने कहा कि MNS ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में 1.8 प्रतिशत ही हासिल किए हैं और कोई भी सीट जीतने में सफल नहीं हो पाई है.

EC कर सकता है मान्यता रद्द

उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग एक ऑटोनॉमस बॉडी है और इस मामले में फैसला ले सकता है. अब चुनाव आयोग MNS को नोटिस भेज सकता है और इसकी मान्यता को रद्द कर सकता है. कलसे ने कहा कि अगर पार्टीकी मान्यता रद्द कर दी जाती है. वह रेलवे इंजन के अपने रिजर्वेशन चुनाव चिह्न का हकदार नहीं होगा और इसके बजाय उसे अगले चुनाव के लिए उपलब्ध अनारक्षित चिह्न चुनना होगा. हालांकि, पार्टी का नाम अप्रभावित रहेगा. साल 2009 में राजनीति में एंट्री करने के बाद मनसे के साथ ऐसा पहली बार हो रहा जब उसका कोई उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर पाया है.

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